नई दिल्ली, 31 जनवरी (हि.स.)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में घरेलू और वैश्विक स्तर पर मौजूद चुनौतियों का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि विकास दर में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। अगामी वित्त वर्ष 2025-26 में वास्तिविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ 6.3 से 6.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। वहीं, चालू वित्त वर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.4 फीसदी रहने की उम्मीद है। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं…
विकसित भारत के लक्ष्य के लिए दो दशक तक आठ फीसदी की वृद्धि दर की जरूरत :-
भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए दो दशक तक आठ फीसदी की दर से बढ़ने की जरूरत है। आर्थिक समीक्षा में शुक्रवार को यह बात सामने रखी गई है। इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भूमि और श्रम सहित कई सुधारों की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इस वृद्धि को हासिल करने के लिए निवेश दर को मौजूदा 31 प्रतिशत से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 35 प्रतिशत करना होगा और विनिर्माण क्षेत्र को और विकसित करना होगा तथा एआई, रोबोटिक्स और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश करना होगा।
विकसित भारत का लक्ष्य पाने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत :-
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में वित्त वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि सिर्फ सरकारी वित्तपोषण से जरूरी बुनियादी ढांचा नहीं तैयार किया जा सकता है। आर्थिक सर्वेक्षा के मुताबिक देश के बुनियादी ढांचे को उन्नत करने की मांग को अकेले सार्वजनिक पूंजी ही पूरा नहीं कर सकती है।
नए हवाई अड्डों, उड़ान योजना से हवाई संपर्क में काफी हुआ सुधार :-
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि नए हवाई अड्डों और क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना से देश में हवाई संपर्क में काफी सुधार हुआ है। सर्वेक्षण में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि हवाई अड्डा विकसित करने वालों और परिचालकों ने वित्त वर्ष 2019-20 और 2024-25 के दौरान लक्षित 91 हजार करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का 91 फीसदी हिस्सा हासिल कर लिया है। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक ‘‘भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन बाजार है। हवाई यातायात में पर्याप्त वृद्धि को समायोजित करने के लिए, भारतीय एयरलाइनों ने वैश्विक स्तर पर विमानों के लिए सबसे बड़े ऑर्डर दिए हैं।’’
जीडीपी में विदेशी कर्ज का अनुपात सितंबर, 2024 में मामूली बढ़कर 19.4 फीसदी :-
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में विदेशी ऋण का अनुपात मामूली बढ़कर सितंबर, 2024 के अंत में 19.4 फीसदी हो गया, जबकि जून, 2024 के अंत में यह 18.8 फीसदी था।
एमएसएमई क्षेत्र के लिए नियमनों को कम करने की जरूरत :-
संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए नियामकीय बोझ कम करने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि नियामकीय वातावरण में अब भी कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार नियामकीय अनुपालन का बोझ औपचारिकता और श्रम उत्पादकता को पीछे धकेलता है, रोजगार वृद्धि को सीमित करता है, नवाचार को रोकता है और वृद्धि को बाधित करता है।
अमेरिकी बाजार में ‘महत्वपूर्ण’ गिरावट आने का भारत पर व्यापक प्रभाव संभव :-
शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी के बीच आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि अमेरिकी बाजारों में किसी भी गिरावट का भारत पर व्यापक असर देखने को मिल सकता है। सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में युवा निवेशकों की खुदरा भागीदारी इक्विटी बाजारों में काफी बढ़ गई है। वित्त वर्ष 2019-20 में खुदरा निवेशकों की भागीदारी 4.9 करोड़ थी जो बढ़कर 31 दिसंबर, 2024 तक 13.2 करोड़ हो गई है।
इलेक्ट्रिक वाहन पर कर छूट, नवीकरणीय ऊर्जा पर सब्सिडी देने का सुझाव :-
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर कर छूट और नवीकरणीय ऊर्जा पर सब्सिडी लोगों को कम कार्बन उत्सर्जन वाली जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर सकती है। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कम कार्बन वाली जीवनशैली को बढ़ावा देने के कई प्रभावी उपाय हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट-2020 में सार्थक जीवनशैली में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख रणनीतियों की रूपरेखा के साथ सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए कदम सुझाये गए हैं।
भारत को अगले दो दशक में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत :-
भारत को वृद्धि की ऊंची रफ्तार को बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है। शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में यह बात कही गई है। समीक्षा में कहा गया, ”भारत को उच्च वृद्धि दर बनाए रखने के लिए अगले दो दशक में अवसंरचना निवेश को लगातार बढ़ाने की जरूरत है।”
अनाज उत्पादन घटाने तथा दलहन, खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने का सुझाव :-
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट-पूर्व पेश आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज में अनाज के अधिक उत्पादन को हतोत्साहित करने तथा दलहन एवं खाद्य तेलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधार करने का सुझाव है। देश दलहन और खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए फिलहाल आयात पर निर्भर है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर जोर दिया गया हे कि विभिन्न विकास पहल के बावजूद भारत के कृषि क्षेत्र में ‘आगे विकास की अपार क्षमता है, जिसका अभी तक उपयोग नहीं किया जा सका है।
भारतीय डेटा सेंटर बाजार 2032 तक 11.6 अरब यूएस डॉलर तक पहुंचने का अनुमान :-
संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार भारत के डेटा सेंटर बाजार के 2032 तक 11.6 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह वर्ष 2023 में 4.5 अरब डॉलर था।
भारत को विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सभी के समन्वित प्रयासों की जरूरत :-
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि अनिश्चित वैश्विक माहौल के बीच भारत को विनिर्माण महाशक्ति बनने के लिए सरकार, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और वित्तीय हितधारकों के समन्वित प्रयासों की जरूरत है। सर्वेक्षण में कहा गया कि विनिर्माण महाशक्ति के रूप में चीन का उदय और अन्य देशों की विनिर्माण आकांक्षाओं पर इसके प्रभाव की वजह से चुनौतियां भी हैं। साथ ही ऊर्जा बदलाव के लिए जरूरी खनिजों, सामग्रियों, मशीनरी और उपकरणों की आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियां भी हैं।
आर्थिक मोर्चे पर अनुकूल स्थिति, बुनियादी ढांचा विकास से देश में मकानों की मांग बढ़ी :-
आर्थिक मोर्चे पर अनुकूल स्थिति और सड़कों तथा मेट्रो नेटवर्क जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ देश में मजबूत मांग के कारण रियल एस्टेट बाजार का प्रदर्शन बेहतर रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 की आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि रियल एस्टेट कानून रेरा और माल और सेवा कर (जीएसटी) ने रियल एस्टेट क्षेत्र को कई लाभ पहुंचाए हैं।
भारत का फार्मा क्षेत्र शोध एवं विकास के मामले में अन्य अग्रणी देशों से पीछे :-
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नवाचार, नई दवा विकास और बायोफार्मास्युटिकल्स पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि भारत में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) पर खर्च अब भी दुनिया के अन्य अग्रणी देशों से कम है। दरअसल, पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में फार्मास्यूटिकल्स का कुल सालाना कारोबार 4.17 लाख करोड़ रुपये रहा। यह पिछले पांच वर्षों में औसतन 10.1 फीसदी की दर से बढ़ा है।
नवीकरणीय ऊर्जा के लिए ग्रिड अवसंरचना, महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश जरूरी:-
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में सुझाव दिया गया है कि भारत को अपनी नवीकरणीय ऊर्जा पहल को मजबूत करने के लिए व्यापक ग्रिड अवसंरचना सुधारों और महत्वपूर्ण खनिजों में निवेश को प्राथमिकता देनी चाहिए। संसद में पेश दस्तावेज के मुताबिक भारत दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे कम ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करने वालों में शामिल है। इसके बावजूद, देश ने अपनी ऊर्जा खपत के तहत होने वाले उत्सर्जन को कम करने में काफी प्रगति की है।
अधिकांश जिलों में 5जी की शुरुआत से डिजिटल संपर्क को बढ़ावा :-
दूरसंचार बुनियादी ढांचा और उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार के लिए नियामक सुधारों के साथ ही अधिकांश जिलों में 5-जी सेवाओं की शुरुआत ने भारत में डिजिटल संपर्क को बढ़ावा दिया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक भारतनेट परियोजना के माध्यम से भारत में दूरसंचार बुनियादी ढांचे में काफी सुधार किया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड पहुंच का विस्तार करना और पूर्वोत्तर, सीमावर्ती क्षेत्रों और द्वीपों जैसे क्षेत्रों में मोबाइल कवरेज को बढ़ाना है।
पीएमएवाई-शहरी के तहत 1.18 करोड़ घरों को मंजूरी :-
आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के लाभार्थियों के लिए कुल 1.18 करोड़ मकान मंजूर किए गए हैं। केंद्र सरकार ने शहरी क्षेत्रों में स्थायी आवास उपलब्ध कराने के लिए 2015 में पीएमएवाई-यू की शुरुआत की थी। एक करोड़ अतिरिक्त परिवारों को मदद के लिए सितंबर, 2024 में पीएमएवाई-यू 2.0 की शुरुआत हुई थी।
वर्ष 2025 में सोने की कीमतें नीचे आएंगी, चांदी होगी मजबूत :-
वर्ष 2025 में सोने की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है, जबकि चांदी की कीमतों में उछाल आ सकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 मे यह बात कही गई है। अक्टूबर, 2024 के लिए विश्व बैंक के ‘जिंस बाजार परिदृश्य’ का हवाला देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जिंसों की कीमतों में 2025 में 5.1 फीसदी और वर्ष 2026 में 1.7 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शनिवार को लगातार आठवीं बार केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करेंगी।