
अभाविप के तीन दिवसीय छात्र संसद का भव्य समापन, पूर्वोत्तर युवा छात्र संसद में पूर्वोत्तर के 7 राज्यों के 95 छात्र संगठनों की भागीदारी।
नई दिल्ली – अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय छात्र संसद का आज समापन हुआ। अंतिम दिन पूर्वोत्तर छात्र युवा संसद का आयोजन अभाविप और अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (SEIL) के संयुक्त तत्वावधान में नई दिल्ली स्थित NDMC कन्वेंशन सेंटर में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक छात्र संसद में पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों से 95 छात्र संगठनों के 170 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके अतिरिक्त अभाविप के पूर्वोत्तर राज्यों के 50 प्रतिनिधि और दिल्ली में कार्यरत विभिन्न पूर्वोत्तर छात्र संगठनों के 50 प्रतिनिधियों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जिसमें ऑल ओल्लो छात्रसंघ, ऑल मिश्मी छात्रसंघ, ऑल ताई खामती सिंग्फो छात्रसंघ, ऑल मेयोर छात्रसंघ, ऑल इडु-मिश्मी छात्रसंघ, ऑल शेरदुक्पेन छात्रसंघ, ऑल मोनपा छात्रसंघ, ऑल तुत्सा छात्रसंघ (चांगलांग), ऑल तुत्सा छात्रसंघ (तिराप) सहित अन्य प्रमुख छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री मुकुंद सी. आर., केंद्रीय मंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल, अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री आशीष चौहान, अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी, SEIL के ट्रस्टी सुनील वासुमतारी, अभाविप के राष्ट्रीय मंत्री कमलेश सिंह, अभाविप अरुणाचल प्रदेश की प्रदेश मंत्री कु. बिकी यादर सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी मंच पर उपस्थित रहे।
पूर्वोत्तर छात्र युवा संसद में छात्रों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी, पर्यटन, पर्यावरण, व्यवसाय, उद्यमिता, नशामुक्ति, सीमा सुरक्षा एवं अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार रखे। पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास को गति देने, सड़कों, रेलवे और डिजिटल कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करने, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, पूर्वोत्तर में विश्वविद्यालयों और छात्रावासों की संख्या बढ़ाने, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार को सशक्त करने, पारंपरिक शिल्प और हस्तशिल्प उद्योगों को बढ़ावा देने, नशामुक्त समाज की दिशा में व्यापक जागरूकता अभियान चलाने तथा सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ठोस रणनीति बनाने जैसी विभिन्न मांगों को लेकर गहन मंथन किया गया।
पूर्वोत्तर युवा छात्र संसद के मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि पूर्वोत्तर भारत भारतीय संस्कृति का अमूल्य गहना है। यह क्षेत्र न केवल विविधता में अद्वितीय है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक विरासत, परंपराएँ और आस्थाएँ हमारे राष्ट्रीय जीवन के अभिन्न अंग हैं। हमने बीते दस वर्षों में पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस प्रयास किए हैं। आज पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता स्थापित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप उग्रवाद में 70% की कमी आई है, सुरक्षा बलों की वीरगति में 70% की गिरावट आई है और आम नागरिकों की मृत्यु दर में 89% तक की कमी दर्ज की गई है। पिछले वर्षों में 10,500 से अधिक विद्रोहियों ने आत्मसमर्पण कर हथियार डाले हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक धरोहरों के संरक्षण के लिए कृतसंकल्पित है। सरकार द्वारा पूर्वोत्तर के लिए बाढ़ नियंत्रण की प्रभावी योजनाएँ लाई जा रही हैं, जिसके तहत 300 से अधिक नए झीलों का निर्माण प्रस्तावित है। वहीं, 2014-15 की तुलना में 2024-25 में पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बजटीय आवंटन में 153% की वृद्धि की गई है। यह इस क्षेत्र के विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पूर्वोत्तर की शांति, विकास और एकता को सुदृढ़ करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और आने वाले वर्षों में इसे और अधिक मजबूती प्रदान की जाएगी।
शाह ने आगे कहा कि आज देश में चरित्र निर्माण की बात करने वाला यदि कोई छात्र संगठन है, तो वह केवल अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद है। विद्यार्थी परिषद केवल देश के विषय में सोचता है अगर आप भारत के भविष्य से जुड़ना चाहते हैं तो आपको एबीवीपी से जुड़ना चाहिए। साथ ही पूर्वोत्तर छात्र संगठनों के बीच सेतु बनने का कार्य भी एबीवीपी को करना चाहिए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा, सांस्कृतिक एकता और समग्र विकास को लेकर अभाविप ने सदैव सक्रिय भूमिका निभाई है। असम में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा हो या शहीद ज्योति यात्रा के माध्यम से राष्ट्रवादी चेतना जागृत करने की पहल, अभाविप ने हर मोर्चे पर दृढ़ता दिखाई है। अंतर-राज्य छात्र जीवन दर्शन (SEIL) के अंतर्गत ‘भारत हमारा देश है’ की थीम पर कार्य करते हुए पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय मुख्यधारा से सशक्त रूप से जोड़ने का प्रयास किया गया है। पूर्वोत्तर छात्र संसद केवल संवाद तक सीमित नहीं, बल्कि नीति-निर्माण में छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करने की ऐतिहासिक पहल है, जिसके तहत लिए गए निर्णयों और छात्रों की मांगों को जल्द ही सरकार तक पहुंचाएंगे।
