डिजिटल टीम, नई दिल्ली। वर्तमान दौर का प्यार भावनाओं से दूर भौतिकता के आवरण में पूरे तरह खुद को समेटे हुए हैं। अब इस बात पर चर्चा करना बेमानी होगी कि बदलते जमाने में सोशल मीडिया का युवा वर्ग पर असर हुआ है। वर्जनाओं को न मानना अब भारतीय परिवेश में लगभग स्वीकार्य है। सेक्स अब ताबू वाला विषय नहीं रहा। रिलेशनशिप टूटना और भावनाओं से उलझे युवाओं की कमी नहीं रही। सोशल मीडिया पर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त करना और इसको सारी दुनिया के सामने बताना अब काफी आसान है। जेन्जी अपनी भावनाओं को समेटते नहीं हैं। रिलेशनशिप में जाना है यह बात और ‘’नो वन इज देयर टू हग” मी गले मिलने वाला साथी नहीं मिल रहा तो भी इसकी जानकारी इंस्टा पोस्ट से दे दी जाती है। यस आई वाज रुड टू यू एंड नो वन इज देयर टू से गुड बाय टू मी जैसे संदेश के माध्यम से यह साफ बता देना चाहते हैं कि उनका रिलेशनशिप स्टेटस क्या है। अगर उन्हें लगता है कि मुझे कोई समझ नहीं सकता या फिर में गलत हूं या सही हूं इस बात पर भी उनकी सोशल मीडिया पोस्ट से यह साफ जानकारी मिल जाती है कि वो सोच क्या रहे हैं। तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले जेनजी के संबंधों और उनकी मानसिकता पर पूरी दुनिया में कई तरह के रिसर्च चल रहे हैं।
मनोचिकित्सक डॉ अमरजीत का कहना है कि बिना भावनाओं के लड़के-लड़कियों का शारीरिक तौर एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में जुड़ जाना। सोशल मीडिया और रिल्स का प्रभाव इस उम्र वर्ग के युवाओं पर ज्यादा पड़ रहा है। उनका कहना है कि इसमें इमोशन्स के साथ खेलने का काम भी हो रहा है। भावनाओं से दूर शारीरिक तौर पर एक दूसरे से जुड़ने का काम भी इसमें शामिल है। उनका सुझाव है कि यह स्थिति भारतीय समाज में खुले तौर पर स्वीकार्य नहीं है। बेहतर पैरेंटिंग और परिवार से जुड़े रहने से इस तरह की समस्या कम हो सकती है।
इसके अलावा मनोचिकित्सक सुझाव देते हैं कि संबंधों के बारे में खुल कर परिवार से बातें होनी चाहिए। इससे कम से कम युवा वर्ग में आत्महत्या और डिप्रेशन से संबंधित समस्या कम हो सकेंगी। उनका कहना है कि इस तरह की हालात में तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से अपनी भावनाओं को तुरंत ये वर्ग प्रकट करता है। जिससे साफ दिखता है कि अधीरता जीवन को काफी हद तक प्रभावित करती है।
अध्यात्मिक संस्थान से जुड़ी हिमानी गुप्ता का कहना है कि इस आयु वर्ग के युवाओं के संबंधों में रिश्तों में अक्सर स्थाईत्व का अभाव देखा जाता है। जिसमें कमिटमेंट की भावना पीछे रह जाती है। हिमानी कहती हैं कि अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रिय रहने से मॉडर्न रोमांस में युवा एक संबंध से दूसरे संबंध की तरफ जल्द मुड़ जाते हैं। उनका सुझाव है कि ट्विन हार्ट्स मेडिटेशन एक आध्यात्मिक पहल है जिसके माध्यम से आप अपने हद्य की गहराईयों में उतर अपने बेहतर साथी की खोज कर सकते हैं। इससे यह न केवल दूसरों के साथ संबंधों को बेहतर बनाता है बल्कि हमारे खुद के साथ के संबंधों और समझ को भी गहरा करता है।