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KB News > समाचार > क्षेत्रीय > हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी, कंपनी का एग्रीमेंट रद्द, फिर भी हो रहे पैथोलॉजी टेस्ट
क्षेत्रीयसमाचार

हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी, कंपनी का एग्रीमेंट रद्द, फिर भी हो रहे पैथोलॉजी टेस्ट

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2025/03/27 at 8:49 AM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published March 27, 2025
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पटना, 27 मार्च (हि.स.)। बिहार में पटना हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी से बिहार हेल्थ सोसाइटी सवालों के घेरे में है। 24 मार्च को पटना हाई कोर्ट ने पैथोलॉजी सेवाओं के लिए 11 नवंबर को जारी नए वर्क ऑर्डर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। कोर्ट के निर्णय के तीन बाद भी उस पर अमल नहीं हुआ है। हिंदुस्तान वेलनेस नाम की कंपनी अनुबंध रद्द होने के बाद भी विधिवत पहले की तरह काम कर रही है और जांच रिपोर्ट जारी कर रही है। कई अस्पतालों में यह खुले आम हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 19 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और उसके पार्टनर खन्ना लैब के साथ पैथोलॉजी सेवाओं के लिए अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर किया था। पटना हाई कोर्ट ने पाया कि इस अनुबंध के जरूरी नियमों की अनदेखी की गई और जल्दबाजी में फैसला करते हुए बिना कंसोर्टियम के वजूद में आए ही हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब को वर्क ऑर्डर जारी कर दिया था। इस संबंध में कोर्ट ने विभाग को जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। पटना हाई कोर्ट ने 24 मार्च को सुनवाई के बाद अपना यह निर्णय सुनाया। अभी इस मामले की सुनवाई जारी रहेगी।

उल्लेखनीय है कि बिहार में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर पैथोलॉजी टेस्ट पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत किया जा रहा है। अक्टूबर 2024 में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने नई निविदा जारी की थी। यह निविदा शुरुआत से ही विवादों में रही। पहले साइंस हाउस नाम की कंपनी को एल वन घोषित किया गया, फिर यह बताया गया कि उस कंपनी ने अपने वित्तीय निविदा में दो जगह अलग-अलग रेट भर दिए थे। उस आधार पर उसके दावे को रद्द कर दिया गया और वित्तीय निविदा में दूसरे नंबर पर कम रेट देने वाले कंसोर्टियम को विजेता घोषित कर दिया गया। यहां भी बताया गया कि हिंदुस्तान वेलनेस और उसकी पार्टनर कंपनी खन्ना लैब टेंडर में दी गई तकनीकी शर्तों को पूरा नहीं करती।

साइंस हाउस की आपत्ति के बावजूद बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने 5 नवंबर 2024 को हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के नेतृत्व के पक्ष में लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिया और 11 नवंबर को उनके साथ एग्रीमेंट भी कर लिया। जबकि टेंडर की शर्तो के अनुसार निविदा खुलने के 90 दिनों के भीतर कंसोर्टियम का गठन जरूरी है। यह 90 दिन की अवधि 19 मार्च को पूरी हो गई।

हिंदुस्तान वेलनेस ने इस एग्रीमेंट के बाद आनन-फानन में कई अस्पतालों में अपने लैब भी स्थापित कर दिए। इस बीच साइंस हाउस ने पटना हाई कोर्ट में एक रिट दायर कर हिंदुस्तान वेलनेस को विजेता घोषित करने और उसके साथ एग्रीमेंट साइन करने पर आपत्ति जताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की। इसके अलावा पहले से काम कर रही कंपनी पीओसीटी भी टेंडर में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अदालत से हस्तक्षेप की मांग वाली रिट दायर कर दी। दोनों रिट इस समय पटना हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं।

24 जनवरी को इसी मामले में सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट की जस्टिस पी बी बजंतरी की बेंच ने बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी को यह निर्देश दिया था कि इस मामले किसी भी नई कंपनी को कोई नई जिम्मेदारी ना दे। स्थिति यथावत बनाए रखें। पर इस मामले में राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई। हिंदुस्तान वेलनेस पहले की तरह काम करती रही।

पीओसीटी और साइंस हाउस की याचिका पर 24 मार्च को सुनवाई करते हुए जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद एवं जस्टिस सुरेंद्र पांडे की बेंच ने पाया कि बिना कंसोर्टियम के अस्तित्व में आए ही बिहार स्टेट हेल्थ सोसाइटी ने हिंदुस्तान वेलनेस और खन्ना लैब के नाम से लेटर ऑफ इंटेंट जारी कर दिया गया और बाद में इनके साथ एग्रीमेंट भी कर लिया गया। अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील और कथित कंसोर्टियम के दोनों पार्टनर के वकीलों ने भी स्वीकार भी किया कि अभी कंसोर्टियम का गठन नहीं हुआ है। केवल निविदा भरने के समय दोनों कंपनियों ने एमओयू साइन किया था। पटना हाई कोर्ट ने अपने ऑब्जर्वेशन में यह दर्ज किया है कि इस मामले में जल्दीबाजी में फैसला किया गया है। हाई कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से कंसोर्टियम के साथ हुए एग्रीमेंट को रद्द करते हुए, सरकारी वकील को एक हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा।अगली सुनवाई अप्रैल के पहले हफ्ते में होने की संभावना है।

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: Bihar News, rohtas news
GOVINDA MISHRA March 27, 2025 March 27, 2025
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