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विचारसमकालीन

भारत की डेमोग्राफी बदलने के लिये घुसपैठ का बड़ा षड्यंत्र

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2025/04/07 at 8:03 AM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published April 7, 2025
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रमेश शर्मा

भारत की डेमोग्राफी बदलने के लिये पाकिस्तान और उसके हिस्से पर बना बांग्लादेश पहले दिन से षड्यंत्र कर रहे हैं। इन दोनों देशों के करोड़ों नागरिक चरण छुपे भारत के कोने कोने में बस गये हैं। इस घुसपैठ को रोकने के लिये भारत सरकार ने कानून बनाया है। और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चेतावनी भी दी है कि “भारत को धर्मशाला नहीं बनने देंगे”। कानून बनने और गृहमंत्री की दो टूक चेतावनी के बाद भी इसके परिणाम कितने सार्थक होंगे यह आज नहीं कहा जा सकता चूंकि पूरे देश में घुसपैठियों का अपना नेटवर्क है।

दुनिया के कई देशों में उतनी जनसंख्या नहीं है जितने भारत में घुसपैठिए हैं। अलग-अलग एजेंसियों ने भारत में घुसपैठियों के अलग-अलग आंकड़े बताये हैं। किसी ने तीन करोड़ तो किसी ने पांच करोड़। भारत में घुसपैठ की समस्या आज की नहीं है। यह पहले दिन से है। और निश्चित योजना के अंतर्गत घुसपैठ की जा रही है। मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना ने भले पाकिस्तान ले लिया था। लेकिन उन्होंने भारत के रूपांतरण का कुचक्र बंद नहीं किया था । वे पूरे भारत को अपने रंग में रंगना चाहते थे। इसे छुपाया भी नहीं था। पाकिस्तान निर्माण के साथ एक नारा खुलकर लगाया गया था “हंस के लिया है पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान”। यह नारा “गज्बा-ए-हिन्द” के लक्ष्य को पूरा करने के लिये था।

पाकिस्तान ने आकार भले 14 अगस्त 1947 में लिया पर इस योजना पर काम बहुत पहले से आरंभ हो गया था। इसे भोपाल, जूनागढ़ और हैदराबाद रियासतों और देशभर के सभी प्रभावशाली मुस्लिम परिवारों की भूमिका से समझा जा सकता है। अधिकांश लोग पूरी तरह पाकिस्तान नहीं गये थे। वे अपने परिवार के एक दो सदस्यों को भारत में ही छोड़ गये थे। ताकि उनकी संपत्ति भी सुरक्षित रहे और भारत के रूपांतरण कुचक्र आगे भी चलाया जाता रहे। मोहम्मद अली जिन्ना अपनी एक पत्नि को लेकर पाकिस्तान चले गये थे लेकिन अपनी बेटी को भारत में ही छोड़ गये थे। ताकि भारत में उनकी संपत्ति सुरक्षित रह सके। कहानी ऐसी प्रचारित हुई मानों जिन्ना की बेटी ने विद्रोह कर दिया हो। पाकिस्तान समर्थक भोपाल नबाब हमीदुल्लाह खान की भी यही कहानी है। एक बेटी पाकिस्तान चली गई और एक बेटी भोपाल में संपत्ति सहेजे रही और वे स्वयं आते-जाते बनी रही ।

मुस्लिम लीग के कोटे से संविधान सभा में पहुंचे असम के योगेन्द्र नाथ मंडल की भी यही कहानी है। यह मुस्लिम लीग और पाकिस्तान समर्थकों की रणनीति से भारत में उनके सभी धर्म स्थल, मदरसे, मजार, दरगाह और पाकिस्तान गये अधिकांश लोगों की संपत्ति भी सुरक्षित रही। पाकिस्तान गये लोगों की संपत्ति सुरक्षा के लिये गांधीजी ने अनशन भी किया था। यह गांधीजी के जीवन का अंतिम अनशन था जो 13 से 18 जनवरी 1948 में दिल्ली में किया था।

आज बीता हुआ समय इतिहास बन चुका है। इतिहास की घटनाएं हमारे सामने हैं। हम एक एक विन्दु की समीक्षा कर सकते हैं। बंटवारे के बाद भी पाकिस्तान के नायकों ने चैन की सांस नहीं ली। पाकिस्तान ने दो स्तर पर अभियान चलाये। एक तो पाकिस्तान क्षेत्र से हिन्दुओं को मार-मार कर भगाना, उनकी संपत्ति छीनना अथवा उनका मतान्तरण कराना। दूसरे भारत की और भूमि पर अपना अधिकार करना। इसे भोपाल, जूनागढ़ और हैदराबाद रियासत के शासकों की भूमिका और कबाइलियों के रूप में कश्मीर पर किया गया आक्रमण समझा जा सकता है। कश्मीर के बड़े भाग पर आज भी पाकिस्तान का अनाधिकृत अधिकार है।

भारत में घुसपैठ स्वतंत्रता के पहले दिन से चल रही है। यह ठीक है कि मुस्लिम समाज के कुछ परिवार भारत को अपनी जन्म भूमि मान कर पाकिस्तान नहीं गये थे। लेकिन जो अपने आधे परिवार को भारत में छोड़कर गये थे और पाकिस्तान जाकर लौटे वे पूरी योजना के साथ । इसीलिए पाकिस्तान के आकार लेने के बाद भी भारत में न लव जिहाद रुका और न लैंड जिहाद। यदा-कदा पाकिस्तान के झंडे भी लहराये जाते हैं और नारे भी सुनाई देते हैं। घुसपैठियों के लिये पहले कश्मीर और नेपाल सीमा मुख्य मार्ग हुआ करता था। बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ में तेजी 1971 के बाद आई। घुसपैठियों को भारत पाकिस्तान युद्ध एक बहाना मिला और करोड़ों लोग युद्ध शरणार्थी बनकर भारत में घुस आये। 1971 का वह भारत-पाकिस्तान युद्ध दुनिया का पहला युद्ध नहीं था। जब से देशों की सीमाएं बनीं हैं तब से दुनियं भर में युद्ध हो रहे हैं।

युद्ध के कारण कितने देश नये बने और कितनों का अस्तित्व समाप्त हुआ। युद्ध साधारण भी हुये और विश्व युद्ध भी । लेकिन बांग्लादेश के युद्ध में जितने शरणार्थी भारत आये उतने दुनियां के किसी युद्ध देश में नहीं देखे गये। युद्ध तो केवल सत्रह दिन चला लेकिन इसके बहाने करोड़ों लोग भारत में घुस आये। युद्ध की समाप्ति और बंगलादेश बन जाने के बाद इन्हें अपने देश लौट जाना था। लेकिन अधिकांश लौटे ही नहीं। चूंकि वे शरणार्थी नहीं थे, भारत की डेमोग्राफी बदलने की योजना लेकर भारत आये थे। इसीलिए लौटकर नहीं गये। इसके साथ ही बांग्लादेश की सीमा से घुसपैठ और तेज हो गई। बांग्लादेशी के घुसपैठियों के साथ रोहिंग्या भी जुड़ने लगे। इन सबकी मानों एक युति बन गई। इसके चलते बांग्लादेश और म्यांमार से लगने वाली भारतीय सीमा से लगे हर गांव और नगर की डेमोग्राफी बदल गई है। अनुमान है पश्चिम बंगाल में 57 लाख और असम में 50 लाख से अधिक बांग्लादेशी बस गये हैं।

भारत में रहने के लिये आधार कार्ड और अन्य सभी आवश्यक दस्तावेज उनके पास हैं। भारत के सीमा प्रांतों में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने का कारण ही ये घुसपैठ ही हैं। असम प्रांत के बारपेटा, धुबरी, दरांग, नौगांव, करीमगंज, दारंग, मोरीगांव, बोंगाईगांव, धुबरी, गोलपारा और लाकांडी जिलों में मुस्लिम आबादी 50 से 80 प्रतिशत तक हो गई है। राज्य के नलबाड़ी, कछार और कामरूप में भी धार्मिक जनसंख्या में भारी बदलाव आया है। इन घुसपैठियों के कारण राज्य के 45 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व स्थापित हो गया है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल के मालदा, दिनेशपुर, छपली नवबादगंज, मुर्शिदाबाद और 24-परगना जिलों में भी बांग्लादेश घुसपैठियों का बोलबाला हो गया है। ये घुसपैठिए बहुत आक्रामक भी हैं। उनके भय से हिन्दू पलायन करने लगे हैं। बिहार के अररिया, किशनगंज, कटिहार और पूर्णिया जिलों में भी मुस्लिम आबादी अप्रत्याशित तौर से बढ़ी है। आशंका है कि इस घुसपैठ में बंगलादेश के रास्ते आये पाकिस्तानी नागरिक भी हो सकते हैं जो आईएसआई की योजना से भारत आये हैं। किशनगंज में मुस्लिम जनसंख्या 67.58 प्रतिशत हो गई है और हिंदू जनसंख्या 31.43 प्रतिशत रह गई है।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित किया था। रिपोर्ट के अनुसार और इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी में बदलाव का कारण यही घुसपैठ है। यह घुसपैठ केवल बांग्लादेश की सीमा से लगे प्रांतों में ही नहीं हो रही ये भारत के हर कोने में अपनी पैठ बना रहे हैं।

सड़क से संसद तक अनेक बार आवाज उठ चुकी है। समय समय पर कई एजेन्सियों ने अपने आंकड़े भी जारी किये । वर्ष 2000 में भारत सरकार के तत्कालीन गृह सचिव माधव गोडबोले ने अपनी एक रिपोर्ट में बांग्लादेश घुसपैठियों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ बताई थी। जबकि कुछ अन्य एजेन्सियों ने यह संख्या ढाई से तीन करोड़ बताई थी। वर्ष 2014 में सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर जोगिंदर सिंह के अनुसार घुसपैठियों की संख्या पांच करोड़ अनुमानित की थी। इन घुसपैठिओं ने भारत की लगभग तीस लोकसभा और 140 से अधिक विधानसभा सीटों पर अपना प्रभाव बना लिया है। दिल्ली में भी बांग्लादेश घुसपैठियों की संख्या छह से आठ लाख मानी जा रही है। इनके पास भारतीय पहचान पत्र भी हैं। भारत का सद्भाव बांग्लादेश के प्रति रहा है। वर्ष 2002 में आईएसआई के कुछ एजेंट कोलकाता में पकड़े गये थे उन्होंने खुलासा किया था कि भारत से लगी बांग्लादेश की सीमा में आईएसआई के प्रशिक्षण केन्द्र हैं। जिनमें आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर उन्हे भारत में अशान्ति पैदा करने केलिये घुसपैठ कराई जाती है।

भारतीय सनातन समाज के संवेदनशील स्वाभाव और शरणार्थियों को लेकर भारत सरकार के “उदार” प्रावधानों का लाभ उठाकर भारत आने वाले ये घुसपैठिये केवल अपराध से ही नहीं जुड़ते वे भारतीय समाज जीवन में अशांति पैदा करने का कुचक्र भी करते हैं। हाल ही फिल्म अभिनेता सैफ अली पर जिसने हमला किया था वह छह माह पहले ही नदी पार करके भारत में घुसा था और उसके पास दस्तावेज भी थे जो पश्चिम बंगाल के चौबीस परगना जिले में तैयार हुये थे जबकि उसका वास्तविक नाम शरीफुल इस्लाम था। हिन्दू नाम से अपराध करने वाला यह पहला घुसपैठिया नहीं था। वर्ष 2000 में भारतीय समाज जीवन में अशांति फैलाने वाली चार बड़ी घटनाएं घटीं थीं। एक पश्चिम बंगाल के चर्च में महिला धर्म प्रचारक की हत्या और दूसरी दिल्ली, कानपुर लखनऊ में धार्मिक पुस्तक कुरान का पन्ना जलाने की घटनाएं। इन सभी घटनाओं में आरोपी गिरफ्तार हुये जो बंगलादेशी घुसपैठिए थे और नाम बदलकर भारत में रह रहे थे।

अभी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर आरंभ धरपकड़ में भी जितने अपराध करते हुये जितने घुसपैठिये पकड़े गये हैं उनमें अधिकांश हिन्दू नाम वाले ही थे। फर्जी दस्तावेज और नकली आईडी बनाने वाला एक गिरोह भी पकड़ा गया। इस गिरोह के 11 लोगों में 5 बांग्लोदशी और 6 भारतीय हैं। दिल्ली के संगम विहार और रोहिणी क्षेत्र से पुलिस ने इनके पास से 6 लैपटॉप, 6 मोबाइल फोन, आधार कार्ड मशीन, रिकॉर्ड रजिस्टर, 25 आधार कार्ड, 4 मतदाता पहचान पत्र और 8 पैन कार्ड जब्त किये हैं। इसके साथ ही दिल्ली में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की धरपकड़ भी आरंभ की। पिछले सप्ताह दिल्ली में तीस बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार किए गए हैं। ये घुसपैठिए दुर्गापुर के रास्‍ते भारत में घुसे थे।

घुसपैठिये भारत के कोने-कोने में फैल गये हैं और फल फूल रहे हैं। किसी का कनेक्शन पाकिस्तान के कट्टरपंथियों और पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई से, किसी का चीन के हिंसक माओवाद से और किसी के बांग्लादेश के कट्टरपंथियों से। इन घुसपैठियों की संख्या करोड़ो में है। वे आतंकवाद, अलगाववाद और सामाजिक अशांति की समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। वे भारत के संसाधनों को भी निगल रहे हैं। भारत मानों कोई धर्मशाला बन है। ऐसी धर्मशाला जहां मुफ्त का खाओ पियो और तोड़ फोड़ भी करो। यह स्थिति इसलिये बनी कि अब तक की भारत सरकारों ने शरणार्थी और घुसपैठिये में अंतर नहीं किया था। संविधान के अनुच्छेद 21 में शरणार्थियों को वापस न भेजने का प्रावधान है। भारत की तमाम सरकारों ने देश विरोधी घुसपैठ और शरणार्थी में अंतर नहीं किया। अवैध घुसपैठ रोकने के लिए अंग्रेजी काल में चार कानून बने थे। अंग्रेज भले चले गये थे पर उनके द्वारा बनाये गये कानून यथावत रहे। इन कानूनों में घुसपैठ रोकने का कोई प्रभावी प्रावधान नहीं था। इसके अतिरिक्त कुछ राजनीतिक दल भी अपने राजनीतिक लाभ के लिये घुसपैठियों को बसाने में सहयोग करते रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में काम करने वाली वर्तमान सरकार ने पहली बार शरणार्थी और घुसपैठ में अंतर किया और राष्ट्र और संस्कृति के संरक्षण के अपने अभियान के अंतर्गत अवैध घुसपैठ रोकने का अभियान चलाया है। मोदी सरकार ने वर्ष 2019 शरणार्थी संशोधन विधेयक पारित किया जिसके माध्यम से भारत आने वाले धार्मिक शरणार्थियों की परिभाषा स्पष्ट की। अब घुसपैठ रोकने के लिये संसद में नया संशोधन विधेयक लेकर आयी।

अप्रवासी और विदेशी घुसपैठ विषयक यह विधेयक 2025 पिछले सप्ताह 27 मार्च को लोकसभा में पारित हो गया। इस में कुल 36 धाराएं हैं। इनके अंतर्गत विदेश से आने वाले हर एक नागरिक का पूरा विवरण रखा जायेगा। वह कहाँ रहता है, कहां जाता है यह सब विवरण भी होगा। ताकि उसके बीजा की समयावधि बीत जाने पर उसे पकड़कर वापस भेजा जा सके। इस विधेयक पर लोकसभा में हुई चर्चा का उत्तर देते हुये गृहमंत्री अमित शाह ने दो टूक शब्दों में कहा कि “भारत को धर्मशाला नहीं बनने देंगे”। अमित शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि “सरकार उन लोगों के स्वागत करने के लिए तैयार है, जो पर्यटक के रूप में अथवा शिक्षा, स्वास्थ्य, और व्यवसाय के लिए भारत आना चाहते हैं, लेकिन जो जो लोग खतरा पैदा करते हैं, उनसे गंभीरता से निपटा जाएगा”।

घुसपैठ रोकने के लिये भारत सरकार सीमा पर फेंसिंग लगाने का काम भी कर रही है। शाह ने संसद को इसका विवरण भी दिया और बताया कि फेंसिंग का 75 प्रतिशत कार्य हो गया है। केवल पच्चीस प्रतिशत शेष है। सीमा पर फेंसिंग के काम में गतिरोध के लिये उन्होंने पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वे जमीन उपलब्ध नहीं करा रही। केन्द्रीय गृहमंत्री का यह वक्तव्य इसलिये भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि इनको फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने वालों में तृणमूल-कांग्रेस के कार्यकर्ता भी हैं।

(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: illigeal immigratioin
GOVINDA MISHRA April 7, 2025 April 7, 2025
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