
तिलौथू। नारी सशक्तिकरण के लिए लड़ने वाली महिला सविता “डे” वो महिला थी जो नारी सशक्तिकरण कि जिले के लिए महान क्रांति की अग्रदूत थी । सविता डे जो नारी शक्ति की प्रतिक है ।यह महिला इस जिले भर में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के लिए अनेकों अथक प्रयास किया ।उन्होंने इसके लिए पहली बार 14 मार्च 1997 को परिवर्तन विकास नमक संस्था की स्थापना की और लड़कियों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनका जीवन समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण को समर्पित था। सविता डे ने महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया और उन्हें शिक्षा और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया । वह एक महान समाज सुधारक और नारीवादी थी । जिन्होंने इस जिले की महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। सविता डे अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित करने वाली नारी शक्ति बनी। उन्होंने अपना शरीर भी दधीचि देहदान समिति बिहार पटना को वर्ष 2023 में ही लिखित रूप से समर्पित कर चुकी थी। इनका जीवन बहुत ही सरल थी । उनका शिक्षा दीक्षा पटना से ही शुरू हुआ ।उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ पटना स्थित आदिति नामक प्रोजेक्ट से शुरुआत की सोशलवर्क के रूप में जाने जाने लगी। उसके बाद उन्होंने 1989 में तिलौथू में आई जो यहां आने के बाद उन्होंने तिलौथू स्थित बनवासी कल्याण आश्रम ब्रांच का मैनेजर के रूप में व बदलाव फाउंडेशन बजरंगी भाई जैसे कई नाम चिन संस्थानों में काम की। उन्होंने इस जिले के प्रस्थानित महिला वंचित और निर्वासित महिलाओं की आवाज को उठाया और न्याय दिलवाया। परिवर्तन विकास के सचिव विनोद कुमार ने बताया कि इस दौरान उन्होने महिला सशक्तिकरण की मजबूत आवाज और ‘परिवर्तन संस्था’ की संस्थापक सविता डे का निधन हो गया। वे पश्चिम बंगाल की मूल निवासी और रोहतास जिले में पिछले ढाई दशक से कार्यरत सविता डे ने अपने सामाजिक कार्यों के ज़रिए हजारों महिलाओं के जीवन को नई दिशा दी। उनका यूं चला जाना, सामाजिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
सविता डे ने नक्सल प्रभावित इलाकों से लेकर शहरी पंचायतों तक, महिलाओं को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने महिला जनप्रतिनिधियों को नेतृत्वकर्ता के रूप में तैयार किया और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। इस दौरान उन्होंने पिछले 3 सालों में प्रखंड के इंद्रपुरी से वही भदोखर मिर्जापुर सहित अन्य गांव में बाल विवाह होने से बच्चियों को बचा लिया। विनोद कुमार ने बताया कि वर्ष 1991 में इनकी शादी जमालपुर के हुगली गांव निवासी सुफियान शाह के साथ बड़े ही धूमधाम से हुई थी उनका एक भी बच्चा नहीं था। परिवर्तन विकास की संस्थापक सविता डे
जब महिलाएं कठिन हालातों में घिरी होती थीं तो उनके साथ खड़ी मिलती थीं । इस संदर्भ में समाज से भी ओम प्रकाश साहू महेंद्र ओझा मुखिया संजय चौधरी अमित कुमारपूर्व मुखिया जयप्रकाश सिंह सहित अन्य लोगों ने उनके निधन की खबर सुन तिलौथू स्थित आवास पर पहुंचे उन्होंने कहा कि वे चुपचाप, बिना प्रचार-प्रसार के ही आज उनकी मेहनत का असर यह है कि कई पंचायतों में महिलाएं निर्णय लेने की भूमिका में नजर आती हैं। उनके निधन से न केवल रोहतास, बल्कि पूरे बिहार ने एक ऐसी प्रेरणास्रोत को खो दिया है, जिन्होंने बिना किसी लालसा के सिर्फ समाज के लिए जिया।उनका जीवन और कार्य हमेशा याद रखा जाएगा। संस्था के सचिव ने बताया कि उनके निधन के पहले उनके पति सविनय शाह उनके साथ मौजूद थे उन्होंने कहा कि उनकी अंतिम इच्छा थी कि मरते-मरते मेरा शरीर भी किसी के काम आ जाए।
समाजसेवी महिला सविता डे के निधन पर शोकसभा का आयोजन
सासाराम (रोहतास) महिला सशक्तिकरण की मजबूत हस्ताक्षर सामाजिक संस्था परिवर्तन विकास की अध्यक्ष सबिता डे नहीं रहीं। बुधवार की रात में तिलौथू में उन्होंने अंतिम साँस लिया। बाल कल्याण समिति रोहतास में एक शोक सभा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। शोक सभा की अध्यक्षता बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ने किया। सबिता डे रोहतास में किशोर न्याय परिषद की प्रथम सदस्य 2008 से 2013 तक और पुनः 2015 से 2018 तक रहीं। अभी वह जिला स्तरीय स्पॉन्सरशिप कमिटी और जिला वृद्धाश्रम समिति की सदस्य थीं। जिले के कई प्रखंडों में उन्होंने बालिका सशक्तिकरण, महिला उत्थान और महिला पंचायत प्रतिनिधियों के सशक्तिकरण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। सामाजिक क्षेत्र में उनकी कमी निकट भविष्य में पूर्ण होने वाली नहीं है। शोक सभा में बाल कल्याण समिति के सदस्य ददन पाण्डेय, पत्रकार राजू दुबे, संजय कुमार तिवारी, अधिवक्ता गोपाल ठाकुर, विशेष लोक अभियोजक जनक राज किशोरी, कौशल किशोर, शेष नारायण सिंह, राहुल कुमार आदि मौजूद थे।
समाज के लिए पूरी तरह समर्पित सबिता डे ने अपना पार्थिव शरीर दधीचि देह दान समिति पटना को जीवित रहते दान कर दिया था I मरने के बाद भी उन्होंने अपने शरीर को समाज के लिए समर्पित कर दिया l ऐसी महान विभूति के खोने से समाज को बड़ी क्षति हुई है I