
डेहरी आन सोन। शिव पार्वती विवाह हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण और पवित्र कथा है। यह कथा भगवान शिव और पार्वती के बीच के प्रेम और विवाह को दर्शाती है। डालमियानगर में चल रहे हनुमान चालीसा ज्ञान यज्ञ में शिव पार्वती विवाह पर कथावचन करते कथावाचक मानस केसरी ने उक्त बाते सोमवार रात कही।उन्होंने कहा कि पार्वती भगवान शिव की दूसरी पत्नी थीं।जो सती के पुनर्जन्म के रूप में आई थीं। पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
उन्होंने कहा कि शिव और पार्वती का विवाह एक भव्य और दिव्य समारोह था, जिसमें सभी देवताओं ऋषियों और भूत प्रेत ने भाग लिया। इस विवाह के बाद, पार्वती ने भगवान शिव के साथ मिलकर परिवार और संसार का सुख भोगा।
उन्होंने कहा कि शिव पार्वती विवाह की कथा में कई महत्वपूर्ण संदेश हैं।
यह कथा प्रेम और समर्पण के महत्व को दर्शाती है, जो भगवान शिव और पार्वती के बीच के संबंध में देखा जा सकता है।पार्वती की तपस्या और साधना इस कथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठोर प्रयास करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि यह कथा विवाह और परिवार के महत्व को भी दर्शाती है, जो हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।शिव पार्वती विवाह की कथा न केवल एक पौराणिक कथा है, बल्कि यह हमें प्रेम, समर्पण, और साधना के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती है।