विशेष संवाददाता
डेहरी, बिहार।
बिहार की राजनीति में धीरे-धीरे एक नया समीकरण आकार ले रहा है। शाहाबाद की ऐतिहासिक भूमि, जिसे कभी सामाजिक चेतना और राजनीतिक आंदोलनों की प्रयोगशाला कहा जाता था, आज फिर से हलचल में है।
डेहरी विधानसभा क्षेत्र, जो रोहतास जिले की सबसे चर्चित सीटों में गिनी जाती है, इस बार एक नए चेहरे की ओर उम्मीद से देख रही है — राजू चौधरी, वीआईपी पार्टी के लोकप्रिय युवा नेता, जो अपनी जमीनी राजनीति, जनसेवा और संघर्षशील छवि के कारण जनता के बीच नई आशा के प्रतीक बन चुके हैं।

जनता के बीच बढ़ता प्रभाव
राजू चौधरी का नाम पिछले कुछ वर्षों में डेहरी के हर मोहल्ले, गांव और पंचायत तक पहुँच चुका है।
चाहे किसान आंदोलन की बात हो, बिजली-पानी की समस्या या बेरोज़गारी का मुद्दा — हर जगह वे स्वयं उपस्थित होकर आम लोगों के बीच खड़े दिखाई देते हैं। यही कारण है कि आज डेहरी की जनता उन्हें अपने असली प्रतिनिधि के रूप में देखना चाहती है।
गांव के बुज़ुर्ग कहते हैं —
“राजू चौधरी जैसे नेता बहुत कम मिलते हैं जो जनता के दुख-दर्द में साथ खड़े हों। बाकी तो चुनाव के समय आते हैं, पर ये सालभर जनता के बीच रहते हैं।”

डेहरी की सियासत में नया मोड़
वर्तमान विधायक फतेह बहादुर सिंह के प्रति जनता में गहरा असंतोष है।
2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी, लेकिन जनता का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में विकास के नाम पर कुछ भी ठोस नहीं हुआ।
सड़कें टूटी हुई हैं, जल योजना अधर में है, शिक्षा व्यवस्था चरमराई हुई है और बेरोज़गारी चरम पर है।

डेहरी के स्थानीय निवासी भरत चौधरी कहते हैं —
“हमने विधायक को बार-बार कहा कि सड़कों और नालियों की हालत सुधारे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब जनता ऐसे नेता को वोट नहीं देगी जो जनता से कट चुका है।”
उसी तरह, विनय यादव का कहना है —
“पांच साल में विकास का एक भी बड़ा काम नहीं हुआ। आज भी गांवों में पीने का पानी और बिजली की समस्या जस की तस है। राजू चौधरी जैसे लोग ही इस क्षेत्र में नई उम्मीद लेकर आए हैं।”
वीआईपी पार्टी में नई ऊर्जा
मुकेश सहनी के नेतृत्व में वीआईपी पार्टी (विकासशील इंसान पार्टी) ने बिहार की राजनीति में एक नई सामाजिक चेतना पैदा की है।
राजू चौधरी जैसे युवा नेताओं ने इस पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाया है।
डेहरी क्षेत्र में वीआईपी का संगठन अब हर बूथ तक पहुँच चुका है, जिसमें राजू चौधरी की भूमिका निर्णायक रही है।
स्थानीय युवक रौशन कुशवाहा बताते हैं —
“राजू चौधरी की खासियत यह है कि वे सिर्फ़ भाषण नहीं देते, बल्कि खुद हर गांव में जाकर लोगों की समस्याएँ सुनते हैं। पिछले दो साल में उन्होंने सैकड़ों युवाओं की मदद की है।”

यदि राजद गठबंधन दे टिकट, तो जीत तय
डेहरी सीट पर इस बार अगर वीआईपी को राजद गठबंधन से टिकट मिलता है, तो समीकरण पूरी तरह बदल जाएंगे।
यह इलाका पारंपरिक रूप से महागठबंधन का गढ़ रहा है। यहाँ मुस्लिम–यादव–अति पिछड़ा वोटरों की संख्या निर्णायक मानी जाती है।
राजू चौधरी का इन वर्गों के बीच मजबूत जनाधार है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि
“अगर वीआईपी पार्टी के राजू चौधरी को डेहरी से टिकट मिलता है, तो वे भारी अंतर से चुनाव जीत सकते हैं। जनता उनके साथ है, और वर्तमान विधायक के खिलाफ गुस्सा भी चरम पर है।”
जनता से सीधा जुड़ाव
राजू चौधरी की सबसे बड़ी ताकत उनका सीधा जनसंपर्क है।
वे हर महीने किसी न किसी सामाजिक कार्यक्रम के माध्यम से जनता से जुड़ते हैं — चाहे वह छात्र संगोष्ठी हो, स्वास्थ्य शिविर, या किसान पंचायत।
उनका मानना है कि “राजनीति जनता की सेवा का माध्यम है, न कि सत्ता का साधन।”
वे कहते हैं —
“मेरे लिए राजनीति कोई पेशा नहीं, यह जनता के प्रति उत्तरदायित्व है। अगर लोगों की समस्याएँ हल नहीं हुईं, तो फिर प्रतिनिधि होने का क्या अर्थ?”
डेहरी नगर क्षेत्र के व्यवसायी जय गुप्ता कहते हैं —
“राजू चौधरी में वह ईमानदारी और ऊर्जा है जो आज के नेताओं में कम दिखाई देती है। वे आम आदमी की तरह रहते हैं और आम लोगों की तरह सोचते हैं।”
विकास का एजेंडा स्पष्ट
राजू चौधरी का विज़न डेहरी के सर्वांगीण विकास पर आधारित है।
उनकी प्राथमिकताएँ हैं —
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रोज़गार सृजन: स्थानीय युवाओं के लिए उद्योग और स्वरोजगार केंद्र।
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शिक्षा: सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधार, और तकनीकी शिक्षा केंद्रों की स्थापना।
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कृषि: सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त कर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना।
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स्वास्थ्य: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
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महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण: महिला समूहों के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा।
वे कहते हैं —
“डेहरी सिर्फ नाम का औद्योगिक क्षेत्र रह गया है। यहाँ रोजगार के अवसर बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है। अगर जनता ने मौका दिया, तो डेहरी को विकास का मॉडल बनाऊँगा।”
युवाओं में बढ़ती लोकप्रियता
राजू चौधरी का प्रभाव विशेष रूप से युवाओं और छात्रों के बीच तेजी से बढ़ा है।
वे सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी बात स्पष्ट रूप से रखते हैं।
उनके वीडियो, संदेश और जनसभाओं की झलकियाँ लगातार वायरल हो रही हैं।
डेहरी महिला कॉलेज की पूर्व छात्रा रेशमा खातून बताती हैं —
“राजू चौधरी जैसे नेता ही युवाओं के भविष्य की बात करते हैं। वे शिक्षा और रोजगार दोनों को प्राथमिकता देते हैं, इसलिए छात्र वर्ग उनके साथ है।”
इस युवा उर्जा के बल पर वे पारंपरिक राजनीति को चुनौती दे रहे हैं।
सामाजिक संतुलन और सभी वर्गों में स्वीकार्यता
राजू चौधरी की छवि किसी एक जाति या वर्ग के नेता की नहीं, बल्कि पूरे समाज के प्रतिनिधि की है।
वे हर समुदाय के साथ बराबरी का व्यवहार करते हैं। यही कारण है कि गांवों में उनकी स्वीकार्यता सभी वर्गों में दिखाई देती है।
महादलित टोले की महिलाएँ कहती हैं —
“राजू बाबू हमारे बीच आते हैं, हाल पूछते हैं, बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद करते हैं। हमें लगता है कि यही हमारा नेता है।”
राजनीति में नया नैरेटिव
आज जब बिहार की राजनीति में जातीय समीकरणों का बोलबाला है, राजू चौधरी उस राजनीति से ऊपर उठकर काम और चरित्र की राजनीति की बात करते हैं।
वे कहते हैं —
“लोग अब जाति नहीं, काम देखकर वोट देना चाहते हैं। जो काम करेगा, वही जनता का नेता बनेगा।”
उनकी यह सोच युवाओं और शिक्षित वर्ग में गहरा असर डाल रही है।
वो डेहरी में एक नई राजनीतिक संस्कृति की शुरुआत कर रहे हैं, जहाँ पारदर्शिता, संवाद और जवाबदेही केंद्र में हैं।
राजू चौधरी की पृष्ठभूमि
राजू चौधरी का परिवार लंबे समय से सामाजिक सेवा से जुड़ा रहा है।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालयों से हुई, और उच्च शिक्षा के दौरान ही उन्होंने सामाजिक कार्यों में रुचि लेनी शुरू की।
वे वर्षों से किसानों, मज़दूरों और युवाओं के मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं।
उनकी सादगी और व्यवहारिकता ने उन्हें लोगों के बीच प्रिय बना दिया है।
उनके साथ जुड़े एक पुराने सहयोगी बताते हैं —
“राजू जी ने कभी राजनीति को सत्ता का खेल नहीं माना। वे हमेशा कहते हैं कि सत्ता जनता के हित में होनी चाहिए, न कि व्यक्ति विशेष के लिए।”
फतेह बहादुर सिंह के खिलाफ जनता में असंतोष
वर्तमान विधायक फतेह बहादुर सिंह की कार्यशैली को लेकर व्यापक असंतोष है।
लोग कहते हैं कि चुनाव जीतने के बाद उन्होंने जनता से दूरी बना ली।
डेहरी नगर परिषद के अंदर बुनियादी सुविधाओं की कमी, जल निकासी की समस्या, सड़कों की दुर्दशा और बिजली कटौती जैसी समस्याएँ बनी रहीं।
“हमने विधायक जी को कई बार बुलाया, लेकिन वे कभी नहीं आए। अब हम उन्हें वोट नहीं देंगे।” — यह कहना है चौरास गांव के निवासी शिवशंकर पासवान का।
ऐसे माहौल में राजू चौधरी की सक्रियता जनता के लिए उम्मीद का नया द्वार खोल रही है।
आने वाला चुनाव: जनता बनाम सत्ता
उनके समर्थको का दावा है कि डेहरी का अगला विधानसभा चुनाव अब सिर्फ दलों की लड़ाई नहीं रहेगा, बल्कि यह जनता बनाम सत्ता का चुनाव होगा। यहाँ मतदाता तय कर चुके हैं कि इस बार वे उसी को वोट देंगे जो पूरे पांच साल उनके बीच रहा, उनकी समस्याओं को उठाया, और सच्चे मन से समाधान की कोशिश की।
राजू चौधरी इस कसौटी पर खरे उतरते हैं।
उनकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ रही है।
गांव-गांव, चौपालों और पंचायतों में उनका नाम चर्चा में है।
परिवर्तन की आहट
डेहरी की राजनीतिक फिज़ा बदल रही है।
जनता अब झूठे वादों से थक चुकी है।
उसे ऐसे नेता की तलाश है जो उसका अपना हो, जो उसके बीच रहे और उसकी भाषा बोले।
राजू चौधरी इस उम्मीद का चेहरा बन चुके हैं।
अगर राजद गठबंधन ने उन्हें टिकट दिया, तो डेहरी की जनता उन्हें भारी बहुमत से विजयी बना सकती है।
राजू चौधरी की छवि ईमानदार, मेहनती और विकासोन्मुख नेता की है — और यही आज डेहरी की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
“अबकी बार डेहरी में बदलाव तय है,”
— कहते हैं स्थानीय निवासी राजू पांडे।
“हम राजू चौधरी जैसे नेता को जीतते देखना चाहते हैं, जो वादे नहीं, काम करे।”
