डबलिन (आयरलैंड)। आयरलैंड में पहली बार अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और पर्यटन संभावनाओं को समर्पित एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन 19 दिसंबर 2025 को भारतीय राजदूतावास, डबलिन में किया गया। यह आयोजन भारतीय राजदूतावास की प्रतिष्ठित ‘स्टेट कल्चरल इवेंट सीरीज़’ पहल के अंतर्गत आयोजित हुआ, जिसका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता, बहुआयामी विविधता और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है।
अब तक इस श्रृंखला के अंतर्गत भारतीय राजदूतावास द्वारा 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं। इसी क्रम में पूर्वोत्तर भारत के इन तीन राज्यों की संस्कृति और विरासत को पहली बार आयरलैंड में व्यापक रूप से प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम के दौरान अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, पाककला, हस्तशिल्प और पर्यटन विरासत पर आधारित एक आकर्षक मल्टी-मीडिया प्रस्तुति दी गई। इसके साथ ही पारंपरिक नृत्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया। इनमें अरुणाचल प्रदेश का न्यिशी नृत्य, मणिपुर का समकालीन फ्यूजन नृत्य “नुंगोले नुंगोले”, शास्त्रीय नृत्य “राधा अभिसार”, मेघालय का खासी नृत्य “सतलक पिरथाई” शामिल रहा। कार्यक्रम में मणिपुरी कविता पाठ के साथ-साथ इन राज्यों के पारंपरिक हस्तशिल्प, सांस्कृतिक कलाकृतियों और कलात्मक उत्पादों का भी प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर आयरलैंड में भारत के राजदूत श्री अखिलेश मिश्र ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डबलिन में बसे भारतीय प्रवासी समुदाय के सहयोग और उत्साहपूर्ण समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों के आर्थिक, सामाजिक और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। बेहतर एयर कनेक्टिविटी और बढ़ती सुविधाओं के कारण अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय के लिए हाई-एंड टूरिज़्म को आकर्षित करने के बड़े अवसर उपलब्ध हुए हैं।
राजदूत मिश्र ने यह भी रेखांकित किया कि इन राज्यों के ऑर्गेनिक, हर्बल, मेडिसिनल और खाद्य उत्पादों के निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पहचान दिलाई जा सकती है। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी कलाकारों और प्रतिभागियों को उनकी सहभागिता और उत्कृष्ट प्रस्तुतियों के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किए।
यह आयोजन न केवल पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का वैश्विक परिचय बना, बल्कि भारत-आयरलैंड के सांस्कृतिक संबंधों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुआ।
