
नौहट्टा (रोहतास)। प्रखंड मुख्यालय से चार सौ मीटर की दूरी पर स्थित नौहट्टा हाईस्कूल की स्थिति काफी जर्जर है। कभी भी स्कूल के कई कमरे ध्वस्त हो सकते हैं जिससे बड़ी घटना हो सकती है। हाईस्कूल के सभी कमरो व कार्यालय की स्थिति खराब है। छत को हर साल प्रधानाध्यापक प्लास्टिक से ढकते है जिससे कि कागजात सुरक्षित रहे लेकिन हवा और धूप के कारण बर्बाद हो जाता है। जर्जर भवन मे ही बच्चों की पढ़ाई की जाती है जिससे बड़ी दुर्घटना होने की आशंका है। बताया जाता है कि स्कूल भवन का सभी कमरे के छत मे दरार पड़ गया है तथा छत का पत्थर अक्सर गिरते रहता है। एक दो स्थानों पर छेद भी हो गया है तथा उपर से छत का सरिया भी दीखाई देता है। बरसात के दिनो मे पुरे छत से पानी टपकता है।बारिश के दिनो मे जब वर्षा होती है तो अधिकांश छात्र स्कूल से भाग जाते है। 1933 से उक्त स्थल पर स्कूल चल रहा है। वर्ष 1976 मे हाईस्कूल की मान्यता प्राप्त हुआ।
तत्कालीन समाजसेवी निर्मल कुमार दूबे के प्रयास से असैनिक निर्माण भी किया गया। उसके बाद किसी समाजसेवी या प्रतिनिधि ने इस पर ध्यान नही दिया जिसके कारण जर्जर होते चला गया। वर्तमान मे 940 छात्र छात्रा पढने के लिए आते है। जिस दिन साठ प्रतिशत भी छात्र आ जाते हैं उन्हें पेड़ के नीचे या प्लस टू के बरामदा मे बैठाना पडता है।छत की स्थिति यह है कि पानी के साथ साथ उक्त कमरे मे छत का पत्थर भी टपकता है। विभाग को असैनिक निर्माण के लिए दर्जनों बार पत्र लिखा गया।
जिलाधिकारी धर्मेन्द्र कुमार कुछ दिन पहले स्कूल में आए थे तो स्थिति से अवगत हुए लेकिन अभीतक कुछ नही हुआ। प्रमुख प्रतिनिधि बसंत कुमार ने बताया कि हाईस्कूल नौहट्टा के माॅडल स्टीमेट बनाने तथा उस आधार पर निर्माण कराने के लिए सरकार से मांग की गयी है।मामले को लेकर बीईओ ने बताया कि प्रधानाध्यापक द्वारा हमे भवन संबंधी शिकायत नही मिला है। आवेदन आता है असैनिक निर्माण के लिए पत्र लिखा जाएगा।