
संवाददाता, आरा (भोजपुर). डॉ भगवती शरण मिश्र साहित्य शोध संस्थान , आरा की ओर से प्रख्यात उपन्यासकार डॉ भगवती शरण मिश्र की प्रथम पुण्य तिथि बमबम उत्सव पैलेश में भौजपुर हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो बलिराज ठाकुर की अध्यक्षता में धूमधाम से मनाई गई ।स्वागत भाषण और संचालन चर्चित कवि डॉ जनार्दन मिश्र ने करते हुए कहा कि डॉ भगवती शरण मिश्र ने साहित्य की कई विधाओं में महत्वपूर्ण पुस्तकों की रचना की है । उपन्यास विधा में उन्होंने जो रचनाएं की , उन रचनाओं की प्रासंगिकता आज तो है ही , भविष्य में भी रहेगी । इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी का बिषय प्रवर्तन करते हुए डॉ रबिन्द्रनाथ राय ने कहा कि मिश्रजी का साहित्य हिंदी की अमूल्य निधि है ।
आचार्य भारत भूषण पांडेय जी ने कहा कि सत्य का अनुसंधान ही साहित्य है ।अध्यात्म साहित्य का प्राण है ।आरा की उर्वर भूमि से आर्स परम्परा के मूर्धन्य साधक डॉ भगवती शरण मिश्र थे , जिन्होंने शाश्वत सत्यानुधान के लिए अपने जीवन का सदुपयोग किया ।
वरिष्ठ कवि और समीक्षक श्रीराम तिवारी ने कहा कि मिश्रजी ने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है । पूर्व कुलपति डॉ दुर्गविजय सिंह ने कहा कि मिश्र जी प्रशासनिक सेवा में रहते हुए विपुल साहित्य की रचना की । डॉ महेश सिंह ने विस्तार से साहित्य और अध्यात्म पर प्रकाश डाला । प्रो हरेकृष्ण उपाध्याय और डॉ नंदजी दुबे ने आयोजित गोष्ठी में अपने महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए बिषय को आगे बढ़ाया ।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन में साहित्य की बड़ी भूमिका हो सकती है ।साहित्य वही है जिसमें सार्वजनिक कल्याण और सौंदर्य की भावना हो ।अध्यात्म मनुष्य जीवन को उत्तम बनाने में बहुत सहायक होता है ।
आलोचक जितेंद्र कुमार , डॉ दिवाकर पांडेय , लक्ष्मी नारायण राय , डॉ कमल कुमारी , सामाजिक नेत्री और संदर्भित संस्थान की संरक्षिका मधु मिश्र , डॉ ममता मिश्र , डॉ रेणु मिश्र , अतुल प्रकाश , ओमप्रकाश मिश्र , संजीव कुमार श्रीवास्तव , शिवदास सिंह , रामेश्वर मिश्र , राघव मिश्र , मनोरंजन मिश्र , ममता दीप , गायक दिनेश मिश्र आदि ने डॉ मिश्र के समग्र कृतित्व और व्यक्तित्व पर पूरी गंभीरता से प्रकाश डाला । धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ अयोध्या प्रसाद उपाध्याय ने डॉ मिश्र को समस्त भारतीय वांग्मय का एक महान साहित्य्कार बताया ।