डेहरी ऑन सोन (रोहतास)। फोरम फ़ॉर फ़ास्ट जस्टिस ,मुम्बई और नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसाइटीज फ़ॉर फ़ास्ट जस्टिस,नई दिल्ली के संयुक्त संयोजन में “कैदियो के अधिकार ” विषय पर एक वेब परिचर्चा का आयोजन हुआ। इस दौरान बंदी अधिकार आंदोलन के संयोजक संतोष उपाध्याय ने कहा कि कैदियो से लगभग सभी जगह समान रूप से बर्बरता का व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा कि गांधी जी और अहिंसा के देश मे जेल आचारविहीन और पाशविक है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत में मानव अधिकारों के अभाव की ओर किसी का ध्यान नहीं गया है तो इसका कारण यह है कि राज्य ने कानून और लाठी के बल पर उस पर पर्दा डाल दिया है।
तिहाड़ कारागार के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता ने कई उदाहरणों के साथ कहा कि अफसोस है कि जेल प्रशासन कोई सुधार ट्रेजडी होने के बाद ही लाता है। पूर्व जेल अधिकारी का मानना है कि जेलों में स्टाफ का अभाव है। पैरवी के दीनबंधु वत्स का मानना है कि दंडात्मक प्रणाली अपराध को रोक नहीं पा रही है। पूरे वार्ता को संयोजित करते हुए प्रोफेसर अश्विनी करिआ ने ऐसे कार्यक्रमों के निरंतर आयोजन कराने की सलाह दी। इस दौरान श्रुति के सत्यम श्रीवास्तव, श्वेता त्रिपाठी,डेम उरांव, तुषारकांत उपाध्याय, वंदना शर्मा, उमाशंकर, संतोष सेट्ठी, हरेंद्र कुमार, विद्या दिनकर भगवान जी रैयानी, नरेंद्र पटेल, राशिद अंडमान आदि मौजूद रहे।