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करगहर (रोहतास) भगवान सूर्य देव को सुबह का अर्घ्य देने और ‘जय छठी मैया’ की जयकारे के साथ चार दिनों तक चलने वाले छठ पूजा का समापन हो गया। कोरोना संकट के दो साल बाद इस महापर्व को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखा। छठ पूजा का महापर्व समस्त भारत सहित विदेशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा में सूर्यदेव के साथ-साथ उनकी बहन माता छठी की उपासना की खास महत्व माना जाता है। छठ का पावन पर्व साल में दो बार मनाई जाती है। पहली चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को और दूसरी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को। दिवाली के बाद यानी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पूजा का खास महत्व होता है। यह पूजा 4 दिन तक चलती है। इसमें 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है।इस साल छठ महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ हुई। पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन पहली अर्घ्य होती है। इसके बाद चौथे दिन भगवान भाष्कर को सुबह का अर्घ्य देने के साथ छठ पूजा का समापन हो गया। वही मां शतचंडी छठ सरोवर घाट पर छठ पूजा के दौरान प्रखंड के कोने-कोने से आए हुए तमाम व्रत धारियों की देखरेख सुरक्षा हेतु करगहर पुलिस प्रशासन एकदम पूरी तरह से चौकस दिखे। साथ ही साथ मां शतचंडी छठ सरोवर घाट पर पूरी लाइट, बती, व्यवस्था के साथ सरोवर को चारों तरफ से जोरदार सजाया गया था। जो सजावट स्थानीय व्रत धारियों को देखने में ही बन रहा था। फिर वही बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में उल्का परिवार के द्वारा दूधिया लाइट जगमगाती रोशनी रंग-बिरंगे पत्तियों से थाना गेट से लेकर पूरे मंदिर परिसर को सजाया गया था।
छठ पूजा को ध्यान में रखते हुए छठ घाट पर गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की मौके पर पहुंचे स्थानीय विधायक संतोष कुमार मिश्रा,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता महेंद्र प्रसाद गुप्ता, मां शतचंडी पूजा के अध्यक्ष सत्येंद्र नारायण सिंह, मोहन पहलवान, फेकू सेठ, रामबाबू केसरी, फिरोज राइन, जलालुद्दीन अंसारी, इत्यादि कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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