डालमियानगर हाईस्कूल लंबे समय तक बेदर्दी हाईस्कूल के नाम से जाना जाता था। डेहरी डालमियानगर शहर के लोगों के अलावा छात्रों और आस पास के इलाके के लोग इस स्कूल के नाम से ही भय खाते थे। स्कूल के प्रिंसिपल लाला शंभुनाथ श्रीवास्तव के अनुशासन के कारण आम लोगों के बीच यह नाम लोकप्रिय हुआ । रविवार को उनके नाम से औरंगाबाद के बारूण में प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में रोहतास और आरंगाबाद के राजनेताओं के साथ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे। उनके दो बेटे कमल किशोर और श्रीराम अंबष्ट औरंगाबाद से नवबिहार टाइम्स और सोन वर्षा वाणी नामक दैनिक समाचार पत्र का सफल संचालन कर रहे हैं। कमल किशोर मध्य बिहार और मगध क्षेत्र से पत्रकारिता के जाने माने नाम हैं। इसके अलावा श्री किशोर यूनिवार्ता और दूरदर्शन के जिला संवाददाता भी हैं।
डालमियानगर हाईस्कूल में बड़ी संख्या में बच्चे शिक्षा प्राप्त करते थे। आज से दो दशक पहले तक जब शिक्षा को जीवन में परिवर्तन का प्रयाय माना जाता था। तब ऐसे शिक्षकों की कर्मठता के कारण उस दौर के शिक्षकों को सम्मान मिलता रहा। लाला शंभुनाथ श्रीवास्तव वैसे ही शिक्षक थे। मुझे याद आता है कि मेरे दादाजी पंडित राजेंद्र प्रसाद मिश्र जो उनके समय में भी वहां कार्यरत रहे थे। उनसे जब मेरे पिताजी के उम्र के विद्यार्थी मिलने आते तो अपने गुरू के प्रति एक कृतज्ञ्ता का भाव दिखता। लेकिन आज के इस व्यवसायिक शिक्षा के दौर में निश्चित तौर पर शिक्षकों और उनके पेशे के प्रति सम्मान कम हुआ है। डेहरी के पत्रकार सुरेंद्र तिवारी बताते हैं कि लाला शंभुनाथ कड़क मिजाज के हेडमास्टर माने जाते थे। पढ़ाई के प्रति काफी संजीदा रहते थे। कर्म के प्रति काफी लगनशील थे। इसके अलावा वो विद्यार्थियों से अनुशासन पालन करने की उम्मीद करते थे। तिवारी बताते हैं कि बाद के दिनों में जब छात्र सफल होता था तो उसे अपने हेडमास्टर से पुत्रवत व्यवहार मिला करता थे। इस जिले में कदाचार मुक्त परीक्षा कराने और शिक्षा की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए उनकी पहल के कारण आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। खबरचीबंदर की रोहतास जिले की टीम महान शिक्षाविद् को उनके कार्यों के लिए नमन करती है।