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डिजिटल टीम, डेहरी. बिहार के डेहरी के एनिकट स्थित ऐतिहासिक धूप घड़ी की चोरी के बाद भले ही बरामद कर ली गई हो। लेकिन वर्तमान स्थिति आपको हतप्रत कर देगी। धूपघड़ी की बरामदगी पिछले साल के फरवरी महीने के 11 तारिख को हुई थी। जिसके बाद कोर्ट के मालखाने में पड़ा हुआ है। इसके लिए नगर परिषद और संबंधित विभाग के अधिकारियों ने किसी भी तरह की सार्थक पहल नहीं की। वर्तमान में धूपघड़ी के दिवाल से असामाजिक तत्वों ने ईंटे निकाल ली। इसके अलावा फाउंडेशन बेस के 130 साल पुराने पत्थरों को निकालने का प्रयास किया गया है। जिसपर किसी भी अधिकारी या पुलिस-प्रशासन का ध्यान नहीं गया है।
यांत्रिक कर्मशाला के अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि बरामदगी के चार महीने के बाद धूपघड़ी को फिर से स्थापित करने के लिए प्रस्ताव विभाग को अग्रसारित किया गया था। इस संबंध में पत्राचार किया जा रहा है।
1871 में ब्रिटीश सरकार ने किया था निर्माण
दरअसल, 1871 में एनिकट स्थित यांत्रिक कर्मशाला के समीप काम का समय देखे के लिए ब्रिटीश हुकुमत ने इसका निर्माण कराया था। डेहरी के लोगों के अलावा बाहरी पर्यटकों के लिए यह आकर्षक का केंद्र रहा। सोन नहर प्रणाली की शुरुआत के बाद एनिकट से शाहाबाद और मगध में सिंचाई के लिए पानी की आपूर्ति होती थी। सिंचाई विभाग के वरीय अधिकारियों का कार्यालाय के अलावा इसी इलाके में प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शाहाबाद जिले के डीआईजी का आवास और कार्यालय, रोहतास एसपी का कार्यालय स्थित है। लेकिन इसपर किसी का भी ध्यान नहीं गया।
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