
इतिहास गौरवशाली रहा वर्तमान अस्थिर है बहुत लोगों को भविष्य अंधकार।मय लगता है। जो जिस शहर में जन्म लेता है उससे बहुत प्रेम करता है और शहर के लिए जो गौरव की बात उससे कभी कभी पिंड छूड़ाने का मन करता है। नगर निगम नहीं बना ट्रेनें नहीं रूक रही और नालियां जाम है और मार्केट दोयम दर्जे का है। खैर अप्पन शिकायत करने में भरोसा नहीं रखते लेकिन समस्या का समाधान कई बार नहीं मिल पाता है। बिजली नहीं है और कोई बोलने वाला भी नहीं ना वर्तमान विधायक ना ही दूसरी बार चुनाव लड़ने को तैयार पूर्व और अन्य दावेदार। बड़े नेताओं के सामने चेहरा चमकाने और शक्ति प्रदर्शन करना लोगों की आदते हैं। और यह सहर्ष स्वीकार्य है और बोलने की जरूरत नहीं बल्कि कंबल ओढ़कर सोने की जरूरत है। मरे शहर को जिंदा करने से क्या फायदा मरे या जिए अपने राम को क्या काम। लोकतंत्र का कथित चौथा स्तंभ अपना काम बखुबी कर रहा है। हम भी मरे हुए लोगों को जगाने में देखते हैं क्या होता है।