
प्रशान्त परासर, डिजिटल डेस्क, डेहरी ऑन-सोन। विश्व के सबसे पुराणे राजमार्ग जिसे जी टी रोड जिसे एन एच-19 कुछ समय पहले तक एन एच-2 कहा जाता था, अन्य सड़कों को जोड़ते हुए उसे एशियन राजमार्ग का दर्जा दिया गया है।
यह विश्व का सबसे लंबा राजमार्ग हो। यह जापान से शुरू होकर कोरिया, चीन, हांगकांग, दक्षिण-पूर्व एशिया, बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से होकर तुर्की और बुल्गेरिया तक जाता है। इस्ताबुल के पश्चिम में यह यूरोपीय राजमार्ग 80 से जुड़ जाता है। इसकी कुल लंबाई 20557 है। इसका पूर्वी सिरा जपान और पश्चिमी सिरा तुर्की है। भारत में इसमें एनएच-112, एनएच-12, एनएच-19,एनएच-3 और एनएच-44 आदि सड़के शामिल हैं।
इस एशियन राजमार्ग-1 का इतिहास काफी पुराना है। इतिहासकारों के अनुसार इस सड़क अस्तित्व मौर्य काल में भी था। सम्राट अशोक के द्वारा सड़क की मरम्त कराए जाने तथा यात्री सुबिधा बढ़ए जाने का उल्लेख मिलता है। इसे उत्तरापथ कहा जाता था क्योंकि यह पुरे उत्तर भारत को जोड़ता था। सलतनत काल में भी इसकी महता रही। सड़क की महता को देखते हुए अफगान शासक शेरशाह सूरी 1540-1545 ने अपने कार्य काल में इस सड़क की नए सिरे से मरम्त कराई। निश्चित दूरी पर सराय, पेयजल तथा छयादार पेड़ों की व्यवस्था की। मुगल शासकों ने भी इस सड़क की महता महसुस किया। अकबर और जहांगीर के शासन काल में इसके रख-रखाव पर राशि व्यय करने का उल्लेख मिलता है। बाद मे ब्रिटिश शासन में इसका पुनर्निर्माण कराया तब इसका नाम ग्रैंड ट्रंक रोड यानी जीटी रोड रखा गया। आज भी इसकी महता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रोजेक्ट एशिया लैंड ट्रांसपोर्ट जिस पर 32 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं के तहत ग्रेट एशियन हाइवे का भाग है।