
भभुआ।शिक्षक दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्लस टू आदर्श बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के एचएम अनिल कुमार सिंह को राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से नवाजा।इस अवसर पर श्री सिंह के अलावा बिहार के दो अन्य शिक्षकों को इस सम्मान से नवाजा गया जिसमें द्विजेंद्र कुमार प्रधान शिक्षक मध्य विद्यालय मधुबन बनगांव बाजार सीतामढ़ी व कुमारी गुड्डी शिक्षिका उच्च विद्यालय सिंधिया किशनगंज शामिल हैं।कैमूर का रामगढ़ एक ऐसा प्रखंड है जो शिक्षा की प्रयोगशाला के रुप में मशहूर है।2021में रामगढ़ के मध्य विद्यालय डहरक के एचएम हरिदास शर्मा ने यह सम्मान प्राप्त कर जिला के अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा और मार्ग प्रशस्त करने का काम किया।ज्ञातव्य हो कि एचएम अनिल ने सरकारी स्कूल में अभिनव प्रयोग किया तो इसका निष्कर्ष भी अनूठा निकला। सरकारी स्कूल को घर व मंदिर मानकर अपने दायित्व को लगन से अंजाम दिया तो शिक्षा जगत में सिरमौर साबित हुए।शिक्षक दिवस पर जब उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया तो कैमूर अपने इस नायाब शिक्षक पर गर्व से इतरा उठा। लोग चर्चा करते रहे कि राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार कैमूर के खाते में आने से यहां की शिक्षा व्यवस्था का भला होगा। जिले के शिक्षक अनिल एवं हरिदास से प्रेरणा लेकर और बेहतर करने की कोशिश करेंगे।
अपने खर्च से स्कूल में सेनेटरी पैड मशीन लगवाई
भभुआ। आदर्श बालिका प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय के एचएम अनिल कुमार ने अपने निजी पैसे से विद्यालय में सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन लगवाई। अभिभावकों से आर्थिक मदद लेकर 22 कंप्यूटर भी लगवाए। साथी अलग से 14 शिक्षकों का पैनल बनवाया जो विद्यालय जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं इसका खर्च उनके और अभिभावकों से मिली मदद से निकलता है। मैट्रिक में बेहतर रिजल्ट के लिए सुपर- 90 व इंटरमीडिएट में सुपर – 40 का गठन किया। टॉपर छात्राओं को वाग्य देवी मेघा सम्मान देने का सिलसिला शुरू किया।इतना ही नही बिहार के मध्य विद्यालयों में बैग लेस डे लागू होने से पूर्व ही अपने विद्यालय में इस नायाब तरकीब को जन्म देते हुए अपनाया था।इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि विद्यालय का नाम जिले के सर्वेश्रेष्ठ बालिका विद्यालय में स्थापित है।अनिल ने अपने हूनर से कामयाबी की नई और ऐतिहासिक परिभाषा गढ़ दी। यह सच फिर से स्थापित हो गया कि लगन से मगन होकर ईमानदारी से अपने दायित्व का निर्वहन किया जाए तो शिखर पाने का सपना साकार होकर रहता है। समर्पण भाव से स्कूल व बच्चों के प्रति लगाव ने अनिल के रुप में राष्ट्रीय स्तर पर कैमूर व बिहार का मान बढ़ा दिया।
सम्मान पाने के बाद अनिल से बातचीत का अंश
भभुआ।राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान पाने के बाद अनिल से पूछा गया कि राष्ट्रपति से सम्मान पाकर कैसा महसूस कर रहे हैं ?तो उन्होंने बताया कि यह मेरे जीवन का ऐतिहासिक और गर्व का क्षण है। मै केवल अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा था किंतु जब मुझे 2022में राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए चुना गया तो मुझे लगा कि एक दिन मैं भी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से जरूर नवाजा जाऊंगा और कर्तव्यपथ पर निरंतर चलता रहा।जिसका यह सुखद परिणाम है।आगे जब अनिल से यह पूछा गया कि आप मे वह कौन सी खास बात है जिसको देखकर राष्ट्रीय चयन समिति ने आपका चयन किया? तो उन्होंने बताया कि मेरी ईमानदारी ,छात्रों के बेहतरी के लिए मेरे द्वारा व विद्यालय के अन्य शिक्षकों के सहयोग से किया गया प्रयास ,मेरी दृढ़ इच्छाशक्ति,कर्तव्यनिष्ठा एवं मेरी प्रेजेंटेशन ने मुझे खास बनाया जिसके बलबूते मुझे यह सम्मान प्राप्त हुआ है।जिसका पूरा श्रेय विद्यालय के शिक्षकों,कर्मियों,बच्चों व क्षेत्र के अभिभावकों को जाता है। जब उनसे आगे पूछा गया कि क्या आप समाज को कुछ संदेश देना चाहते हैं तो उन्होंने समाज के नाम संदेश जारी करते हुए बताया कि जी ! उन्नत शिक्षा का अलख हर घर पहुंचे मेरी ईश्वर से यही प्रार्थना है।समाज में पठन पाठन की अभिरुचि बढ़े।जागरूकता फैलाने की अभी भी जरूरत है।हम सभी को अपनी सहभागिता एवं कर्म के प्रति,समाज के प्रति के उत्तर दायित्वों को समझना होगा। जब समझ जायेंगे तो विद्यालय आदर्श बनेगा ,हम आदर्श कहलाएंगे,और अंत में आदर्श समाज की स्थापना होगी।