पॉक्सो एक्ट 2012 जो बच्चों को यौन हिंसा से संरक्षित करता है, के विभिन्न पहलुओं की गहन जांच-पड़ताल के बाद, कानून मंत्रालय को लॉ कमीशन नें अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। आयोग ने उक्त कानून की बुनियादी सख्ती बरकरार रखने की बात कही है। साथ ही आपसी सहमती से शारीरिक संबंध बनाने की न्यूनतम उम्र 18 साल ही रखने की बात कही गई है। हालांकि इस कानून के दुरूपयोग से जुड़े मामले को देखते हुए कुछ सेफगार्ड लगाए गए हैं।
इस कानून के प्रयोग को लेकर कराए गए अध्ययन से पता चलता है कि लड़कियों को अपनी मर्जी से विवाह करने के निर्णय के विरूद्ध अभिभावक इसका प्रयोग हथियार की तरह करते हैं। कई युवकों को सहमती से संबंध बनाने के बाद भी इस कानून का उन्हे शिकार होना पड़ा है। ऐसे में मांग उठी थी कि सहमती से संबंध बनाने की उम्र घटाई जाए। पॉक्सो एक्ट 2012 में 18 साल से कम उम्र में सभी तरह के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। भले ही दोनों अवयस्कों के बीच संबंध आपसी सहमती से क्यों न बना हो।