बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को अपने बहुप्रतीक्षित जाति सर्वेक्षण का रिपार्ट जारी किया, जिससे पता चला कि ओबीसी और ईबीसी राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं। विकास आयुक्त विवेक सिंह द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36 प्रतिशत सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है, इसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग 27.13 प्रतिशत है।
आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !
जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था।…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) October 2, 2023
दलित, जिन्हें अनुसूचित जाति भी कहा जाता है, राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत हैं, जो अनुसूचित जनजाति के लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) लोगों का घर भी है। अनारक्षित” श्रेणी से संबंधित लोग, जो 1990 के दशक की मंडल लहर तक राजनीति पर हावी रहने वाली “उच्च जातियों” को दर्शाते हैं, कुल आबादी का 15.52 प्रतिशत हैं। सर्वेक्षण यह भी प्रदर्शित करता है कि राज्य की आबादी में भारी संख्या में हिंदू हैं, जिसमें बहुसंख्यक समुदाय कुल आबादी का 81.99 प्रतिशत है, उसके बाद मुस्लिम (17.70 प्रतिशत) हैं।
ईसाई, सिख, जैन और अन्य धर्मों का पालन करने वालों के साथ-साथ अविश्वासियों की भी बहुत कम उपस्थिति है, जो कुल आबादी का एक प्रतिशत से भी कम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बयान जारी कर इस विशाल अभ्यास को अंजाम देने वाले सरकारी अधिकारियों की टीमों की सराहना की।