
डिजिटल टीम, डेहरी-ऑन-सोन। अभिभावकों के आर्थिक शोषण का जरिया प्राइवेट स्कूल बन गए हैं। संचालकों का किसी भी तरह का सरोकार पठन पाठन से नहीं है। व्यवसायिक दृष्टिकोण से स्कूल का संचालन वैसे लोग कर रहे हैं जिनका शिक्षा के क्षेत्र से किसी भी तरह का लेना देना नहीं है। इस कारण गुरू और शिष्य के भारतीय परंपरा का किसी भी तरह का निर्वहन संभव नहीं दिखता है। पत्रकार संतोष कुमार का कहना है कि बदलते परिवेश में शिक्षा में निवेश सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इस कारण बड़े पुंजीपति औऱ ठेकेदार इस क्षेत्र में एंट्री ले चुके हैं। उनका कहना है कि वैसे लोग जिनका उद्देश्य व्यवसाय कर लाभ कमाना हो वो क्यों छात्रों के सरोकार की भावना से अपना नाता रखेंगे।अभिभावकों का कहना है कि हर साल रि एडमिशन के नाम पर निजी स्कूल अभिभावकों का आर्थिक शोषण करना शुरू करते हैं। स्पेशल चार्ज के नाम पर यह गोरखधंधा शुरू होता है। जो गर्मी के छुट्टी के समय ट्रांसपोर्टेशन चार्ज के नाम पर जारी रहता है। इसके अलावा नए नए तरीके से निजी स्कूल प्रबंधन अभिभवकों का शोषण करने का धंधा जारी रखते हैं। बिहार के राजधानी पटना में अभिभावक संघ काफी सक्रिय है। लेकिन कई जिलों में अभिभावक संघ नामक संस्थान धरातल पर देखने को नहीं मिलता है। राजधानी पटना के एक निजी स्कूल में महिला प्राचार्य का एक महिला से बदतमीजी करते वीडियो कुछ महीने पहले वायरल हुआ था। इस कारण निजी विद्यालय की मीडिया में जमकर किरकिरी हुई थी। स्कूल संस्थान पर अभिभावकों की आवाज दबाने के लिए स्थानीय गुंडों का सहारा लेने का आरोप भी लगा था।
इस तरह के मामले में अभिभावक कर सकते हैं शिकायत
अभिभावक निजी और मान्यता प्राप्त विद्यालय के फीस और अन्य मामलों की शिकायत सीधे सीबीएसई में कर सकते हैं। निजी विद्यालयों के मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी तक लिखित आवेदन देने पर हो सकती है कार्रवाई।