
कोचस (रोहतास) परसथुआ में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण 125 कुंडीय महायज्ञ में चौथे दिन प्रवचन सुनने लाखों की संख्या श्रद्धालु यज्ञ स्थल पहुंचे। कथा के दौरान महाराज जी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि जन्म लेते ही मनुष्य पर चार ऋण प्रभावी हो जाते हैं। मातृ ऋण, पितृ ऋण, ऋषि व देव ऋण। इनमें कोई मनुष्य अछूता नहीं है। चाहे व किसी भी संप्रदाय अथवा धर्म को मानने वाला हो। सबको इसका ध्यान रखना चाहिए। जब तक इस ऋण को आप अदा नहीं करते। देव ऋण धर्म कार्य करने से व प्रकृति का संरक्षण करने से, ऋषि ऋण संस्कार युक्त जीवन जीने तथा अपनी संतान को उसकी शिक्षा देने तथा पितृ ऋण स्वयं पिता अथवा माता बन जाने के उपरांत उतर जाता है। लेकिन परंपरा अनुसार अपने पूर्वजों का पिंडदान व सेवा करनी अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वाले जीवन चक्र में अनेक परेशानियां झेलने को मजबूर हो जाते हैं। इसके लिए पिंडदान करना होता है। कुछ लोग इसका उपहास भी उड़ाते हैं। यहां का किया गया कार्य वहां पहुंचेगा। ऐसे सवाल लोग करते हैं। इसे आप आसान भाषा में समझ सकते हैं। आज आप घर बैठे किसी से फोन पर हजारों किलोमीटर दूर संवाद करते हैं। आपकी बात, तस्वीर वहां कैसे पहुंचती है। उसी तरह आपको इसे भी समझना होगा। जिससे सुनने के लिए प्रतिदिन लाखों की संख्या में सैकड़ों गांव के ग्रामीण पहुंच रहे हैं। इसके अलावे अन्य प्रदेश के लोग भी यहां डेरा जमाए बैठे हैं। इस वजह से आस-पास का पूरा क्षेत्र भक्तिमय बना हुआ है। जग में पहुंचे श्रद्धालु भक्तों का यज्ञ कमिटी के अध्यक्ष मंजीव मिश्रा व सचिव जयशंकर प्रसाद के द्वारा आदरपूर्वक सत्कार के साथ प्रसाद खिलाने का कार्य किया गया । बता दे की 16 फरवरी से यह आयोजित यज्ञ 21 फरवरी को समाप्त होगा। 20 फरवरी को धर्म सम्मेलन के साथ-साथ 21 को दरिद्र नारायण भोज का भी आयोजन सुनिश्चित किया गया है।