अकोढ़ीगोला। देश के उद्योग जगत का नामी गिरामी डालमिया नगर समूह 40 सालों से रौनक लौटने का इंतजार कर रहा है. वैसे उद्योग के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है सिवाय जमीन के. जुलाई 1984 में जब इस कारखाने में तालाबंदी हुई तो बीस हजार कर्मचारी सड़क पर आ गये थे. करीब 27 साल बंद रहने के बाद कारखाने को रेलवे ने वर्ष 2007 में 140 करोड रुपये में खरीदा था. तब लोगों में आस जगी थी.22 नवंबर 2008 को रेलवे ने यहां हाइ एक्सल लोड वैगन, कपलर व अन्य प्रकार के कल पूर्जों के निर्माण के औद्योगिक परिसर का शिलान्यास किया था. तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने 2009 -10 के रेल बजट में पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था. इसके बाद भी जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ. डालमिया नगर रेल कारखाना लोकसभा चुनाव में चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है. जब-जब लोक सभा का चुनाव सामने आता है तब- तब राजनैतिक दलों के नेता डालमियानागर में रेल कारखाना चालू कराने के लिये झुठे वादे कर वोट मांगने का कार्य करते हैं. चुनाव जीतने के बाद उसे यही छोड़ कर दिल्ली चले जाते हैं. नेताओ का क्या? समयानुसार दल गठबंधन बदलते रहते है. वर्ष 1933 में देश के जाने माने उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया ने रोहतास सुगर लिमिटेड के नाम से चीनी कारखाने की शुरूआत की थी. 1938 में बिहार के तत्कालिन गर्वनर मैरिहा हैलेट द्वारा सीमेंट कारखाना व 1939 में राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा कागज कारखाने की आधारशिला रखी गई थी. देश के सबसे बड़े सीमेंट कारखाने का उद्धघाटन सुभाष चन्द्र बोस ने किया था.इन वस्तुओं का होता था उत्पादन: रोहतास उद्योग समूह में अस्बेस्टस, वनस्पति, स्टील, फाइबर, साबून ,सहीत कुल आठ इकाईयां स्थापित की. तब यह एशिया के सबसे बड़े उद्योग समूह के रूप में स्थापित हो गया. अशोक स्टील कंपनी लिमिटेड एवं पाश्रवा माईनिंग एन्ड ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड भी रोहतास उद्योग समूह की महत्वपूर्ण इकाईं थी।