
डेहरी आन सोन रोहतास
डेहरी रेलवे थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह से बाल कल्याण समिति ने स्पष्टीकरण मांगा है। बताया जा रहा है कि बाल कल्याण समिति किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 27 के अंतर्गत स्थापित एक वैधानिक निकाय है जिसे दंड प्रकिया संहिता 1973, 1974 का 2 के द्वारा मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के न्यायिक दंडाधिकारी की शक्ति प्राप्त है। किशोर न्याय परिषद तथा अधिनियम के अंतर्गत विधि विवादित बालको से संबंधित मामले के निपाटने के लिए किशोर न्याय परिषद तथा देखरेख और संरक्षण योग्य बालक या बालिकाओ के देखरेख संरक्षण पुनर्वासन तथा उनसे संबंधित मामलो अंतिम निपटाने हेतु बाल कल्याण समिति को न्यायालय की शक्ति प्रदान की गई है। बाल कल्याण समिति मे पास्को अधिनियम के अंतर्गत पीडित, पीड़िता की देखरेख एवं पुनर्वास हेतु सभी प्रकार की शक्तिया निहित है। इस संबंध मे बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि चाईल्ड हेल्पलाइन रोहतास के द्वारा प्राप्त पत्र के अनुसार दिनांक 15/5/2024 की शाम करीब सात बजे 1098 चाईलड हेल्पलाइन पर जीआरपी थानाध्यक्ष कृष्णा कुमार से सुचना प्राप्त हुआ कि एक बालक डेहरी आन सोन रेलवे स्टेशन पर प्राप्त हुआ है। प्राप्त सूचना के आधार पर उक्त बालक को प्राप्त करने हेतु चाईल्ड हेल्पलाइन रोहतास, रोहतास के पर्यवेक्षक संजीत कुमार सागर तथा केश वर्कर ज्योति कुमारी रेल थाना पहुंचे परंतु उक्त बालक को न तो चाईल्ड हेल्पलाइन रोहतास के कर्मियों को नही सौंपा गया। और न ही बाल बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। ज्ञात हो कि किशोर न्याय बालकों के देखरेख और संरक्षण अधिनियम 2015 की धारा 2 उपधारा 14 के अंतर्गत देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाला बालक है। अध्याय 6 मे देखरेख की आवश्यकता वाले बालको के संबंध मे प्रक्रिया का उल्लेख है। यह एक गंभीर अपराध है की श्रेणी मे आता है जिससे बालक की सुरक्षा प्रभावित हो सकता है और वह किसी खतरे मे पड सकता है। समिति ने तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण मांगा है कि बालक को बाल कल्याण समिति को क्यों नहीं सौंपा गया।