
नई दिल्ली, 06 मार्च (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने सनातन धर्म को लेकर आपत्तिजनक बयान देने के मामले में तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज करने पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने उदयनिधि स्टालिन को मिली अंतरिम संरक्षण को बरकरार रखा है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ट्रायल कोर्ट में पेशी से दी गई छूट को भी बरकरार रखा है।
इससे पहले 14 अगस्त, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्यों में दर्ज एफआईआर को एकसाथ जोड़ने की मांग पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था। इसके पहले 04 मार्च, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन की खिंचाई करते हुए कहा था कि आपने संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मिली अभिव्यक्ति के आजादी का दुरूपयोग किया। आपने धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का हनन किया। अब आप अनुच्छेद 32 के तहत कोर्ट का दखल चाहते हैं। कोर्ट ने स्टालिन से कहा था कि आप कोई आम नागरिक नहीं है, आप एक मंत्री हैं। आपको ये पता होना चाहिए कि आपके बयान का क्या असर होगा। उदयनिधि स्टालिन ने देश के विभिन्न हिस्सों मसलन उत्तर प्रदेश, बेंगलुरु, पटना, जम्मू और महाराष्ट्र में दर्ज एफआईआर को एकसाथ जोड़े जाने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पहले उदयनिधि स्टालिन को हाई कोर्ट जाने को कहा था। तब स्टालिन की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि उन्हें ऐसी सूरत में 6 हाई कोर्ट जाना होगा। ये दोषी साबित होने से पहले एक तरह से सजा देना होगा। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों के हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने एफआईआर जोड़े जाने का निर्देश दिया था।
