डिजिटल टीम, पटना। वैसे तो आम तौर पर भारतीय कोर्ट किसी भी कैदी को अपने रिश्तेदार के दाह संस्कार या शादी में शामिल होने के लिए पेरोल देती है। लेकिन बिहार की पटना हाई कोर्ट ने उम्र कैद की सजा काट रहे एक आरोपी को संतान जन्म देने के लिए 15 दिनों की पेरोल दे दी है। इस अनोखे आदेश की चर्चा सोशल मीडिया पर काफी तेजी से हो रही है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, बिहार के नालंदा जिले के एक युवक विक्की कुमार के पक्ष में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। नालंदा जिले के रहुई थाना इलाके के उतरनावां गांव के रहने वाले विक्की कुमार को साल 2012 में मर्जर के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फिलहाल वो बिहारशरीफ की जेल में कैद है। उनकी पत्नी रंजीता पटेल ने अपने वकील की सलाह पर संतान को जन्म देने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। इस याचिका के आलोक में कोर्ट ने सुनवाई की और संतान पैदा करने के लिए 15 दिनों के लिए पैरोल पर इसे छोड़ने का आदेश पटना हाईकोर्ट दिया है। इसकी जानकारी बिहारशरीफ के जेल अधीक्षक को भी मिल चुकी है।
जेल विजिटर अधिवक्ता देवेंद्र शर्मा ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में कहा कि 26 साल के इस युवक की शादी 6 महीने पहले हुई थी। लेकिन उसके बाद वो मर्डर केस में जेल में चला गया। जेल में विजिट करने पहुंचे वकील को उसने अपनी समस्या बताई। जिसके बाद सलाह पर कैदी की पत्नी ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने कैदी को इसके लिए 15 दिनों की पेरोल पर छोड़ने का आदेश जारी किया है।
पटना हाईकोर्ट की सीनियर वकील छाया मिश्रा ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय ने पिछले साल मई महीने मै एक निर्णय दिया था जिसके अनुसार संविधान की धारा 21 के अंतर्गत महिला को रिप्रोडक्टक्शन का अधिकार (Right of Reporoduction) उसके व्यक्तिगत स्वतंत्रता (पर्सनल लाईफ एंड लिबर्टी के परिभाषा में आता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में न्यायमूर्ति संदीप मेहता और पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की बेंच ने इसका निर्णय दिया था। इस बार के पटना हाईकोर्ट के जज राजीव रंजन की कोर्ट का यह निर्णय स्वागत स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि इस तरह का फैसले को कैदी की पत्नी रंजीता पटेल की जीत के तौर पर देखा जाना चाहिए।