पटना. कबीर जयंती के मौके पर कबीर के लोग संस्था की ओर से ऑनलाइन बेविनार का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व केंद्रीय मंत्री व विधान पार्षद डॉ. संजय पासवान ने सबसे पहले कबीर जी को याद कर उन्हें श्रद्धसुमन अर्पित किया. अपने सम्बोधन में डॉ. संजय पासवान ने कहा कि देश में सामाजिक समरसता के तर्ज पर धार्मिक समरूपता व आध्यात्मिक एकरूपता पर बात होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि कबीर अनगढ़, अनपढ़, अनहद, सवाल, बवाल धमाल हैं. उन्होंने ने कहा कि कबीर साहेब 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे. वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे. इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को न मानते हुए धर्म एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे. उन्होंने सामाज में फैली कुरीतियों, कर्मकांड, अंधविश्वास की निंदा की और सामाजिक बुराइयों की कड़ी आलोचना भी की. डॉ. सजय पासवान ने कहा कि आज के दौर में कबीर प्रासंगिक हैं.
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी विनोद मल्ल ने कहा कि कबीर दास की दोहा आज भी लोगों को प्रेरित करती है. कबीर दास से आज भी लोगों को प्रेरणा मिलती है.