हैदरनगर. पलामू जिले में प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. दरअसल, हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र के महुडंड-मोहमदगंज मुख्य सड़क का निर्माण 2020 में पूर्ण हुआ था. लेकिन एक वर्ष में ही 22 किलोमीटर में बने सड़क जर्जर हो गया. इसे लेकर ग्रामीणों ने उपायुक्त पलामू, सांसद, स्थानीय विधायक से जांच कराकर संवेदक पर कार्रवाई करने की मांग की है. यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से बनाई गई है. ग्रामीण बताते हैं कि मोहमदगंज से माहुर भया महुडंड जाने के लिए जगह-जगह पर कई बड़े बड़े गड्ढे हो गए हैं. सड़क में मेटल पूर्ण रूप से बिखर गए हैं. जबकि यह सड़क उग्रवाद प्रभावित होने के कारण वाहनों का आवागमन काफी कम है. इस सड़क पर केवल दो दर्जन गांव के लोग ही पैदल साइकिल, बाइक या टेम्पू से मोहमदगंज या हुसैनाबाद के लिए यात्रा करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण कार्य कराने में संवेदक ने सड़क निर्माण के लिए कोई गुणवत्ता का कार्य नही किया. सड़क निर्माण में घोर अनियमितता बरती गई है. सड़क का शिलान्यास पलामू के सांसद बीडी राम द्वारा 01/09/2016 को किया था. जिसमें सड़क निर्माण का संवेदक अशोक कुमार गुप्ता को कार्य निष्पादन के लिए जिम्मेवारी मिली थी. सड़क शिलान्यास के बाद से ग्रामीणों में काफी खुशी भी थी. सड़क बनना गांव व क्षेत्र के विकास के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है.
उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण सरकार की नजर भी जंगल व पहाड़ों के बीच बसे गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने का लक्ष्य था. महुडंड मोहमदगंज मुख्य पथ का पहला प्राकलन राशि वर्ष 2008-2009 में आठ करोड़ था. सड़क का शुरुआत मोहमदगंज राजनडीह गांव से निर्माणकार्य शुरू किया गया था. पहले चरण में लगभग 11 किलोमीटर तक मिट्टी मोरम का कार्य पूरा के इसे अधूरा छोडकड पूर्व के संवेदक ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे. इसका मुख्य कारण क्षेत्र में उग्रवादियों की चहल कदमी ने सड़क निर्माण पर प्रतिबंध लगाया था. किंतु महुडंड व मोहमदगंज प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों ने उग्रवादियों द्वारा लगाए गए प्रतिबन्ध का विरोध किया था. ग्रामीणों की एक ही मांग थी कि अगर उग्रवादी सड़क का निर्माण नहीं कराने देंगे तो उग्रवादी के विरुद्ध ग्रामीण आंदोलन करेंगे. इसके लिये ग्रामीण एक विशाल बैठक भी की थी. जिसमें उग्रवादियों के विरोध का नारा गुंजा था. पूर्व के संवेदक को भाग जाने के बाद दूसरी बार प्राकलन 2015-2016 में लगभग उक्त सड़क को 15 करोड़ के लागत से निर्माण कार्य किया गया. जिसमें संवेदक ने 22 किलोमीटर सड़क का निर्माण तो कराया, किन्तु वह एक वर्ष में ही जर्जर हो गया.
सड़क का कार्य चार वर्षों में संवेदक ने जीर्ण शीर्ण अवस्था मे 2020 में पूर्ण कर पैसे की निकासी कर ली. जबकि कोई भी सड़क का निर्माण पांच वर्षों तक उसे देख रेख करने व मेंटेनेंस करने का निर्देश प्राप्त है. आज भी मोहमदगंज के समीप लगभग तीन किलोमीटर में संवेदक ने सड़क को अधूरा छोड़कर भाग गया है. ग्रामीणों के समक्ष संवेदक ने यह कहकर छोड़ा की मोहमदगंज क्षेत्र के किसान की सड़क में रैति भूमि होने के कारण भूस्वामी विरोध कर रहे हैं. जबकि स्थानीय ग्रामीण कहते हैं कि शिलान्यास के पहले चरण का निर्माण के समय कोई आपत्ति नहीं थी तो फिर किस वजह से इसके बाधा व आपत्ति दिखाकर संवेदक इसे अधूरा छोड़ गया है. सड़क को आज की स्थिति देखकर क्षेत्र के सभी ग्रामीण बताते हैं कि सड़क का निर्माण प्राकलन को ताक पर रख किया गया है. सड़क निर्माण में घटिया सामाग्री का उपयोग कर भारी अनियमितता बरती गई है. इस वर्ष पहली बारिश में ही सड़क का काली करण उखड़कर गड्ढे में तब्दील हो गया है. यह सड़क हुसैनाबाद, पांडु व मोहमदगंज प्रखंड के दो दर्जन से अधिक गांवों को जोड़ने वाली अति महत्वपूर्ण लाइफलाइन है.
इस सड़क निर्माण क्षेत्र में महुडंड पंचायत के 11 राजस्व गांव लोहबन्धा, नसोजमालपुर, सलैयाटिकर, केमो, प्रतापपुर, लपसेरा, कुरदाग, चोरपहरा, महुडंड, फटिया, नईया के अलावा मोहमदगंज प्रखंड के कादलकुर्मी पंचायत के माहुर, भरूही के सभी ग्रामीण जंगल व पहाड़ों के बीच रहकर अपना जीवन बसर करते हैं. सभी गांव सड़क के मामले आज भी महरूम है. सड़क निर्माण के समय ग्रामीणों ने खुशी जताई थी कि अब गांव के लोग सड़क व आवागमन की सुविधा से जुड़ेंगे. जिसे हुसैनाबाद अनुमंडल मुख्यालय व मोहमदगंज हैदरनगर प्रखण्ड मुख्यालय के अस्पताल व बाजारों में जाने में सहूलियत मिलेगी.