हैदरनगर. प्रखंड के सटे पहाड़ी के तलहटी में बसे सलैयाटिकर गांव के समीप करोड़ो खर्च कर बनाये गए मांजरखोह डैम से सिंचाई के लिए खेतों को पानी नहीं मिला। जिससे दर्जनों गांव में भयंकर अकाल व सुखाड़ का नजारा देखने को मिल रहा है। डैम का निर्माण हुए लगभग चार वर्ष से अधिक हो गए। डैम से खेतों तक पानी निकासी के लिए नाला नही बनने के कारण खेतों तक पानी नही पहुुंचना यह स्थानीय जनप्रतिनिधि की कायरता साबित कर रही है। ग्रामीण बताते हैं कि डैम के बगल से अगर वितरणी नाला का निर्माण कर दिया जाता तो सलियाटिकर के अलावा पतरिया, गोल्हना, जमुआ, बरेवा आदि कई गांव के खेत हरे भरे होते।
सलैयाटिकर गाँव के किसान यह भी कह रहे है कि डैम निर्माण में संवेदक मालामाल हो गए वहीं किसान आकाल व सुखाड़ के कारण लाचार हो गए है। किसान विनोद यादव, रामजी यादव, रामजी रजवार, बलि यादव सहित कई किसानों ने कहा कि कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मांजरखोह से वितरणी नाला निकासी के लिए मांग की गई। किन्तु अब तक उनके कानों तक जु नही रेंगा।बारिश कम होने के कारण पूरे क्षेत्र आकाल व सुखाड़ की दंश झेलने को विवश है। यही हाल सड़ेया, लपेया प्रखंड के पहाड़ी क्षेत्र में बने मंगरधारा डैम सहित कई डैम का निर्माण कराया गया, किन्तु आज के दिनों में सभी डैम बेकार पड़े है। किसी डैम से किसानों के खेतों तक पानी नही पहुंचना यह स्थानीय जनप्रतिनिधि की कायरता साबित कर रही है।
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मंगरधारा डैम से भी अगर वितरणी नहर का निर्माण कराकर किसानों के खेतों तक सिंचाई के लिए पानी पहुँचाने का काम होता तो हैदरनगर प्रखंड के दर्जनों गाँव के किसान अकाल व सुखाड़ का दंश नही झेलते। मंगरधारा डैम से सड़ेया, लपेया, नौडिहा, बिलासपुर, चौकड़ी, भीखा बिगहा, बिन्दुबीघा, बहेरा आदि कई गांवों को सिंचित करने के लिए उक्त डैम का निर्माण कराया गया था। यह डैम हैदरनगर प्रखंड के प्रसिद्ध जहाजी नदी को बांध कर निर्माण कराया गया है। जहाजी नदी को बांधने के पश्चात कई बार बिन्दुबीघा, चौकड़ी आदि के ग्रामीणों द्वारा विरोध भी जताया गया था। किंतु ग्रामीणों को किसी जनप्रतिनिधियों ने नही सुनी।