हैदरनगर. झारखंड ही नहीं भारत के जाने-माने जपला सीमेंट फैक्ट्री से धुंआ तो नहीं निकला, किंतु कबाड़े के भाव में बिक गई है। जिससे जपला सीमेंट फैक्ट्री व बौलिया क्वाईरी के मजदूरों की आस कबाड़े के भाव में बिकने के बाद टूट गई। पूरा राज्य व देश आजादी के 75वें वर्षगांठ मनाने को बेताब है। किंतु शेष बचे मजदूर तिल तिल मरने को विवश हैं।
कई नेताओं का जपला सीमेंट फैक्ट्री का मुद्दा भी बनता रहा। जपला सीमेंट फैक्ट्री 1985 से लेकर 2019 तक के लोक सभा, विधानसभा चुनाव का मुद्दा भी बनता रहा। किंतु अब यह मुद्दा भी सीमेंट फैक्ट्री खोलने का स्वतः समाप्त हो गया। इस संबंध में जपला सीमेंट फैक्ट्री में कार्यरत मजदूर ने बताया कि जपला सीमेंट फैक्ट्री के 75 प्रतिशत मजदूर काल के गाल में समा गये। कुछ मजदूर बचे भी है तो वे घुट-घुट कर मरने को विवश हैं।
मजदूरों ने कहा कि जपला सीमेंट फैक्ट्री खुलवाने के लिये कई बार झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास व वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिलकर आग्रह किया गया। किंतु मुख्यमंत्री का अब तक खोखला आश्वासन मजदूरों को मरने पर विवश कर दिया। फैक्ट्री मजदूरों ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पलामू के मेदिनीनगर के दौरे के क्रम में जपला सीमेंट फैक्ट्री के मजदूरों को हौशला तो दी किंतु उनका घोषणा भी मजदूरों के लिये नकारा साबित हुआ।
मजदूरों ने कहा कि हम मजदूरों का काफी दिनों से मजदूरी का भी बकाया है। जिसे राज्य के मुख्यमंत्री नहीं दिलवा सके। उन्होंने कहा कि अब सीमेंट फैक्ट्री बिकने के बाद किसी तरह फेरी कर अपने परिवार व बाल-बच्चा का भरन-पोषण कर रहे हैं। बसपा के वरिष्ठ नेता सह हुसैनाबाद विधानसभा के पूर्व बसपा प्रत्यासी शेर अली ने कहा कि फैक्ट्री को बंद हुये लगभग 36 वर्ष बीतने को है। जिसे झारखंड की सरकार ने कबाड़े के भाव में जपला सीमेंट फैक्ट्री को बेचवा डाला।
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उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में गृहमंत्री राजनाथ सिंह व अमित साह ने विधानसभा चुनाव के दौरे के क्रम में हुसैनाबाद व हैदरनगर के मैदानों में खुले मंच से घोषणा किया था कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी तो अवश्य जपला सीमेंट फैक्ट्री के चिमना से धुंआ निकलेगी। किंतु उनका भी घोषणा छलावा साबित हुआ। फैक्ट्री के खरीददार उपेंद्र सिंह से स्थानीय संवाददाता ने फैक्ट्री खोलने के मुद्दे पर वार्ता की तो श्री सिंह ने कहा कि अगर सरकार की मदद होती तो नये सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण कराकर जपला सीमेंट फैक्ट्री के नाम को पुनः जिंदा किया जा सकता था।