सासाराम (रोहतास) गुरु के चरणों मे अपने आप को समर्पित करना ही भक्ति है। गुरु ब्रम्हा, विष्णु और महेश के ही स्वरूप होते हैं। गृहस्थ जीवन में माता पिता के चरणों की भक्ति से ही प्रभु प्रसन्न होते हैं। यह बात बसांव मठ के पीठाधीश्वर महान संत और परमज्ञानी स्वामी अच्च्युत्प्रापन्नाचार्य जी महाराज ने कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बसांव मठ के पंचम पीठाधीश्वर स्वामी राघवप्रपन्नाचार्य जी महाराज के पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित पूजा अर्चना के बाद बातचीत के दौरान कही। स्वामी जी महाराज ने कहा कि गुरु का ज्ञान मानव जीवन के लिए चक्षु का काम करता है। इस अवसर पर स्वामी जी के द्वारा भव्य आरती का आयोजन किया गया तत्पश्चात प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया। बातचीत कें क्रम स्वामी जी ने कहा कि इस मौके पर श्रावण शुक्ल पक्ष के पंचमी से ही झूलन का आयोजन किया जाता है। जिसका दर्शन काफी संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल के पालन करने के लिए सरकार द्वारा जो निर्देश मिले हैं। उसके कारण किसी को नहीं बुलाया गया। इस मौके पर स्वामी जी महाराज ने कहा कि गुरु केवल अपने शिष्यों को उपदेश ही नही देते बल्कि सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।