
मरीजों के लिए कोरोना काल में संजीवनी साबित हुआ अस्पताल
डेहरी ऑन सोन रोहतास: शहर के शंकर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर खुलने से रोहतास औरंगाबाद और झारखंड के हरिहरगंज, पलामू के किडनी रोग मरीजों ने राहत की सांस लिया है। बता दें कि किडनी रोग के मरीजों को हर हफ्ते डायलिसिस के लिए वाराणसी और पटना जैसे बड़े शहरों में जाना पड़ता था। जिससे मरीज के साथ-साथ स्वजनो को 3-4 घंटे यात्रा तयकर डायलिसिस कराने जाना पड़ता था जिसमें मरीज को काफी परेशानी और स्वजनों को अनावश्यक आर्थिक खर्च उठाना पड़ता था।
वही कोरोना संक्रमण के दूसरी लहर के पूर्व शंकर अस्पताल में डायलिसिस खुलने से रोहतास और औरंगाबाद, जबकि झारखंड हरिहरगंज और पलामू के किडनी मरीजों को बड़ी राहत मिली है, जो लोकल पैसेंजर ट्रेन से आसानी से सफर कर डायलिसिस करवाने पहुंच जाते है।
डायलिसिस मरीज फकरुन निशा ने बताया कि इसके लिए उन्हें पहले वाराणसी हफ्ते में दो बार जाना पड़ता था। कुदरा के रहने वाले अरविंद सिंह ने बताया कि किडनी खराब होने के कारण डायलिसिस के लिए वाराणसी जाने में शारीरिक, आर्थिक और राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर जाम की परेशानी झेलनी पड़ती थी।
औरंगाबाद की रहने वाली देवंती देवी ने बताया कि शंकर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर खुलने से पटना एवं वाराणसी जाने और आने से राहत मिली है। रामप्रवेश सिंह ने बताया कि नजदीक में डायलिसिस सेंटर खुलने से पेशेंट और अटेंडेंट दोनों को काफी सहूलियत मिली है।
रवि यादव,चेनारी ने बताया कि किडनी मरीज होने के कारण शरीर काफी कमजोर हो जाता है, जिससे लंबी यात्रा और पैदल चलने में सांस फूलने की समस्या आती है।
सुनील कुमार तिवारी, टेक्निशियन ने बताया कि अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा होने से किडनी मरीज के डायलिसिस के दौरान डॉक्टर के देखरेख में मॉनिटर,ऑक्सीजन,बाईपैप मशीन और वेंटिलेटर की सुविधा है। जिस दौरान किडनी मरीज की तबीयत बिगड़ने पर आईसीयू में इलाज कर जान बचाया जा सकेगा।
शंकर अस्पताल के निदेशक डॉ जयप्रकाश सिंह ने बताया कि बीपी और शुगर मरीजों को समय-समय पर किडनी एवं अन्य जांच करानी चाहिए।उन्होंने बताया कि किडनी खराब होने पर मरीजों में यूरिया क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ने लगती है जबकि इलेक्ट्रोलाइट सोडियम, पोटैशियम और क्लोराइड डिसबैलेंस हो जाता है।
