अपने शहर पर जन्मभूमि, मातृभूमि पर किसे गर्व नहीं होता। होना भी चाहिए। आप जहां जन्म लेते हैं जहां पर अपने जीवन का अधिकांश समय बिताते हैं वहां से स्वभाविक लगाव होता है। डेहरी के विकास की परिकल्पना और उसके लिए काम करना दोनों अलग अलग मुद्दे हैं। डेहरी के युवाओं के एक टीम में जुटान और इसके जमीनी प्रयास का मैं शुरूआत से समर्थन करता हूं। हो सकता है उनके कार्यप्रणाली से कुछ बातों से मतभेद हो। लेकिन इस तरह के जनसरोकार के लिए एक प्लेटफॉर्म पर आना वाकई सराहने वाला कदम है। टीम के कई सदस्य देश के अलग अलग हिस्सों में रह रहे हैं। एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और विकास के कई मुद्दों पर बिना राजनीतिक दलों का हिस्सा बने हुए काम कर रहे हैं। चंदन, बबल कश्यप, प्रांजल, राहुल सहित सैंकड़ों युवा इस काम में दिन रात एक कर लगे हुए हैं। जिसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम होगी। डेहरी जिला ही नहीं बने बल्कि औद्योगिक समूहों की स्थापना भी हो।
ट्रेनों का ठहराव होने के साथ साथ आर्थिक सरोकार को विकसित करने की पहल से अपने युवाओं को शहर के विकास के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। जिससे बड़े पैमाने पर होने वाले पलायन को रोका जा सके।
कहानियों को सुनने की जगह इसे गढ़ने की जरूरत
अरविंद केजरीवाल राजनीतिक दल का गठन करने से पहले दिल्ली के हर मुख्य चौक चौराहों पर एक रजिस्टर औऱ पेन रखे हुए थे। लोगों से राय मांगी जा रही थी। क्या इसकी जरूरत थी। मुखर्जी नगर में यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। मुझे लगता था कि राजनीतिक दलों के काम करने का तरीका बिल्कुल अलग होता है। प्रेशर ग्रुप (दबाव समूह) के तौर पर केजरीवाल की टीम बहुत बेहतर काम कर सकती है। लेकिन उन्होंने अलग रास्ता तय कर लिया। हम अपने जन्म से लेकर अभी तक केवल डालमियानगर सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर केवल कहानियां ही सुन रहे हैं। उम्मीद है शहर के ये युवा नए रास्तों को तलाश कर इसमें बदलाव की सार्थक पहल करेंगे।
डेहरी के विकास के लिए काम करने वाली टीम को गैर राजनीतिक तरीके से विकास की पहल करने की मुहिम के लिए साधुवाद। उम्मीद है टीम डेहरियंस और भी बेहतर काम करेगी। युवाओं की इस पहल में दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति का साथ इसमें चार चांद लगाने का काम करेगा। चंदन जैसे सभी युवा इस तरह के प्रयास के लिए धन्यवाद के पात्र हैं।
गोविंदा मिश्रा,
प्रबंध संपादक, केबी न्यूज
(लेखक के यह विचार पूरी तरह निजी हैं।)