विधानसभा चुनाव रिजल्ट आने के बाद भी नेताजी अपने क्षेत्र में लगातार एक्टिव हैं। चुनावी जीत से दूर रहने के बाद भी नेताजी जनता के करीब होने का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं। उनके आम लोगों से मिलने का सिलसिला नहीं रुका है। नेताजी को हार पच तो नहीं रहा और जीत से दूर रहने का अफसोस तो हैं ही। सोशल मीडिया पर नेताजी लगातार जनसरोकारी होने का दावे को सही बताना चाह रहे हैं। इसके लिए शादी, ब्याह जीवन और मरण के अलावा घटना और दुर्घटना की खबर मिलने के बाद वो जल्दी जल्दी वहां पहुंच रहे हैं और समस्या के निपटारे के लिए प्रयत्नशील हैं। कम से कम नेताजी के फेसबुक पोस्ट को देखकर ऐसा जरुर लग रहा है। नेताजी के विरोधी और उनको हराने का माद्दा रखने वाले सभी दावेदार भी ऐसे में पीछे कैसे रह सकते हैं। पोलिंग बूथ मैनेजमेंट, मतदाताओं को रिझाने के प्रयास के बाद अब समय आ गया है थोड़ा आराम करने का। लेकिन नेताजी को आराम कहां। अगला चुनाव भी है और जल्दी भी है और बेताबी भी। जीवन रुकता नहीं और चलती का नाम गाड़ी है ये बात कब झुठलाया जा सका है? राजनीति ऐसा प्रोफेशन है जिसमें 2+2 चार हो ऐसा संभव नहीं और किसी भी तरह की रणनीति और दावें जीत की ओर ले जाए ऐसा कहना काफी मुश्किल है। खैर, जनता हमेशा से जनार्दन रही है और उनसे 5 सालों के लिए अपने क्षेत्र की नियती तय कर ली है। लेकिन लोकतंत्र है और ये एक रेस है जिसमें कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसे तय करना भी मुश्किल है। खैर दावेदारों के लिए एक अच्छी खबर है अब उन्हें अगले 5 साल तक का इंतजार करना होगा। उससे पहले दौड़ते रहें क्योंकि मैदान में अगर टीके रहे तो शायद जीत सा सेहरा आपको भी पहनाया जा सकता है।
(यह राजनीतिक व्यंग्य खबरचीबंदर के मैनेजिंग एडिटर गोविंदा मिश्रा ने लिखा है। यह पूरी तरह काल्पनिक है और किसी भी व्यक्ति से इन टिप्पणीयों का सीधा या परोक्ष तौर पर संबंध नहीं है।)