गोविंदा मिश्रा, सासाराम से। दिल्ली को कोलकता से जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे सासाराम के पास अमेरिका और स्वीजरलैंड में योग सिखाने वाला 43 साल का एक युवक फावड़ा लेकर जमीन खोदता दिख रहा है। वो यहां मजदूरों से बताता है कि कैसे काशी (कुश) को सही तरीके से लगाना है। बिहार की राजधानी पटना से लगभग 145 किलोमीटर दूर शेरशाह सूरी के इस ऐतिहासिक शहर में नेपाली मजदूरों से दिन भर काम कराने वाले संतोष नामक इस शख्स को परदेश रास नहीं आया। सासाराम के बाल विकास विद्यालय में पढ़ाई करने के बाद देश के प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय से इस युवा योग गुरु ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। वे पिछले 27 साल से सासाराम से बाहर रह रहे थे। वहीं 18 साल पहले उनका भारतीय योग की तरफ उनका झुकाव हुआ। लेकिन उन्होंने जब अपनी जन्मभूमि में योगा सेंटर डेवलप करने की बात अपने परिजनों को बताई तो सभी हतप्रत थे। संतोष बताते हैं कि उनकी मां उनके पास सवालों की लिस्ट के साथ खड़ी थीं। अंग्रेजी के अलावा फ्रेंज, जर्मन और ग्रीक बोलने मे पारंगत संतोष ने भोजपुरी में अपनी मां को कहा अब इहे करेके बा या अइजे (अब यही करना है औऱ यहीं पर करना है)।
हमारी संतोष उर्फ संतोष योगा से मुलाकात उनके सेंटर पर चल रहे एक कार्यक्रम के दौरान रविवार को हुई। इस दौरान वे योगा की क्लासेज ले रहे थे। वे योग का महत्व को दर्जन भर लोगों की उमड़ी भीड़ को बता रहे थे। यहां पहुंचे डॉ गंगासागर सिंह ने कहा कि योग को विकसित करने के लिए पतांजली जैसे महान ऋषियों का बड़ा योगदान पर हमसे बातचीत की। उन्होंने सासाराम के इस युवा की इस पहल को सराहा औऱ कहा कि इससे बिहार की तस्वीर को बदलने में मदद मिलेगी।
तस्वीर बदलने का कर रहे प्रयास
संतोष सासाराम के काली स्थान के रहने वाले हैं। उन्होंने भारतीय योग पद्धति को प्रमोट करने के लिए यहीं पर योगा सेंटर खोलने का निर्णय लिया। जिसके विकास के लिए वो लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने मुंगेर के योग स्कूल से इसकी औपचारिक ट्रेनिंग भी ले रखी है। इसके अलावा देश के बड़े महानगरों के अलावा अमेरिका, स्वीजरलैंड और जर्मनी में योगा सिखाते रहे हैं। फिलहाल वो सासाराम में ही वे योगा और आयुर्वेदा रिट्रीट सेंटर विकसित कर रहे हैं।
सार्थक पहल का है भरोसा
संतोष ने बातचीत में कहा कि आम लोगों को स्वस्थ रखने की सार्थक पहल वो करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के युवाओं में विकास की असीम संभावनाएं है। वो अपने सेंटर के आस-पास के बच्चों को मुफ्त में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में हर संभव मदद करते हैं। संतोष योगा ने कहा कि उनका प्लान छोटे शहरों और गांवों से योगा के युवा शिक्षकों और हिलर्स को तैयार करना है। जिससे योग के माध्यम से समाज को रोगमुक्त करने की पहल कामयाब हो सके। भारत भूमि को श्रेष्ठ बनाने के लिए मानसिक औऱ शारिरिक तौर पर सशक्त करने की वो पहल करना चाहते हैं। संतोष का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन के हर तरह की सुख सुविधा को यहां पर आकर काम करने के लिए छोड़ा है।