बिहार के डालमियानगर में कभी बहुत बड़ा उद्योग समुह था। जहां देश औऱ दुनिया के कई कोनों से लोग आकर काम करते थे। अब यहां के किस्से और कहानियां ही लोगों से सुनने को मिलती है। रेलवे द्वारा प्रस्तावित कारखाने के निर्माण की पहल पर राजनीतिक गतिविधियों के बीच आम लोग आज भी विकास के सपनों को देखने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन इस जगह का देश की आजादी के लिए काम करने वाले कई राजनीतिक शख्सियतों से भी कनेक्शन रहा है। यहां पर रोहतास उद्योग समूह के सीमेंट फैक्ट्री का ढांचा आजाद हिंद के नायक नेताजी सुभाषचद्र बोस की स्मृतियों को संजोए खड़ा है। खुद बोस ने इसका 1938 में उद्घाटन किया था। वे खुद उस वक्त अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
साल 1984 में परिसमापन में चला गया रोहतास उद्योग समूह
रोहतास उद्योग समुह 1984 में बंद हो गया। जिसके बाद यह परिसमापन में चला गया। जिसे भारतीय रेल ने क्रय कर लिया हैं। गौरतलब है कि देश के मशहुर उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया ने 1933 में सबसे पहले यहां चीनी कारखाना लगाया था। जिसके बाद यहां उद्योगों का विस्तार शुरू हुआ। बिहार के तत्कालीन राज्यपाल ने साल 1937 में सीमेंट कारखाना का शिलान्यास किया। शाहाबाद गजेटियर से मिली जानकारी के अनुसार, मार्च 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उद्घाटन किया था। 500 टन प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता का यह कारखाना उस समय के देश का पहला सबसे ज्यादा उत्पादन क्षमता का कारखाना था। सीमेंट कारखाना की मशीन डेनमार्क से मंगाई गई थी। इसके बाद यहां उद्योग का जाल बिछ गया। किसी दौर में इसकी टाटा के बाद अविभाजित बिहार के दूसरे सबसे बड़े उद्योग समूह में गिनती होती थी।
रामकृष्ण डालमिया के कांग्रेस नेताओं से थे मधुर संबंध
उद्योग समुह के मालिक रामकृष्ण डालमिया का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद के अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से काफी मधुर संबंध थे। वे इन सभी का हर तरीके से सहयोग भी करते थे। आजादी के नायक के द्वारा इसके शिलान्यायास औऱ निर्माण में आना इसका गवाह है।
विशेष रिपोर्ट: अवनीश मेहरा, ब्यूरो, डेहरी अनुमंडल