अवनीश मेहरा, डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। बिहार के रोहतास जिले के डेहरी प्रखंड में आयरकोठा के पास एक गांव है चिलबिला। वहां से मौडिहां जाने वाली सड़क पर एक छोटे से टोले में 2-4 घरों की एक छोटी सी बस्ती है। वहां 7 बच्चें जिनकी उम्र 4 साल से 16 साल तक है. इन बच्चों की देखरेख करने के लिए घर में सिर्फ दादा-दादी बचे हैं। लेकिन इस परिवार को सरकारी योजनाओं का किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस संबंध में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता संतोष उपाध्याय प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की थी। उन्होंने परवरिश योजना के तहत इन सभी की जिम्मेदारी लेने की मांग बाल कल्याण समिती से की थी । इस पर प्रशासनिक कार्रवाई शुरू हो चुकी है। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने जिला बाल संरक्षण ईकाई और लाइल्ड लाइन कोलैब से इसकी सामाजिक जांच कराने का आदेश दिया है. जिसकी रिपोर्ट तीन दिनों के अंदर बाल कल्याण समिती को सौंपनी है.
देखरेख करने वाले केवल दादा दादी है मौजूद
उन्होंने बताया कि ये सभी बच्चे झोपड़ी में रहते हैं। जिनकी देखरेख फिलहाल उनके दादा प्रसाद भुइयां और दादी रामकली कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से दो बच्चियों को पास के आंगनबाड़ी में भेजा जा रहा है। बच्चों के पिता मृतक मनोज राम के नाम पर इंदिरा आवास का आवाटंन नहीं हो सका है। इसमें सरकारी अधिकारी तकनीति परेशानियों का हवाला दे रहे हैं। इसके अलावा पिछले एक साल से इन सभी में से केवल दादा और दादी के नाम पर राशन का आवंटन हो पा रहा है। एक बच्ची जो चिलबिला स्कूल में तीसरे क्लास की छात्रा है उसे स्कूल की तरफ से केवल राशन का आवंटन हो रहा है। इन सभी के पास खाने का पूरा इंतजाम नहीं है।
परवरिश कार्यक्रम से जोड़ने की हुई थी मांग
इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता संतोष उपाध्याय ने संबंधित अधिकारियों से परवरिश कार्यक्रम से जोड़ने की मांग की थी। जिस पर प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है। उन्होंने इस परिवार को पूर्ण सुरक्षा देने की मांग की थी। ताकि ये सभी अपना जीवन यापन बेहतर तरीके से कर सके।