विधानसभा चुनाव तो बीत गया लेकिन नेताजी की राजनीतिक आकांक्षा का हाल दिल से बयां नहीं हो पा रहा। राजनीति तो बिहार के हर व्यक्ति के साथ चलता है। चाणक्य की धरती के हर रहवासी के पास एक सवाल हमेशा साथ रहता है। हर की अपनी विचारधारा और विचार है। इन दिनों अपने जिले के हर प्रखंड में क्रिकेट प्रतियोगिता की धूम मची हुई है। क्रिकेट के बाद फुटबाल और दूसरे महत्वपूर्ण खेल का नंबर आता है। विधानसभा चुनाव के भावी उम्मीदवारों के बाद अगला नंबर पंचायत चुनावों के दावेदारों का आया है। वे भी इसी बहाने अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए हैं। बिहार में सिर्फ राजनीति का खेल चल रहा है। विकास के मुद्दों का सवाल पूरी तरह गायब है।
दावेदारों के समर्थक लाइन लगाकर अपनी गोट्टी सेट करने में लगे हुए हैं। सवाल सिर्फ चेहरा दिखाने और नंबर बनाने का ही नहीं है। बल्कि चर्चा में बने रहना भी है। एक के बाद एक दावेदार उद्घाटन करते और फोटो के साथ सोशल मीडिया पर पहुंचते हैं। सवालों के बीच नेताजी ने फिर से सोशल मीडिया पर अपनी फोटो शेयर कर जमकर अपनी धमक जमा ली। खैर अपना काम सवाल पूछने भर का केवल नहीं है। बल्कि जवाब तलाशते रहना भी है। जवाब भी आम लोगों के सरोकार, विकास और रोगजार से जुड़ा हुआ हो। क्योंकि जनता अपने वैसे ही प्रतिनिधियों को चुनती है जिस सोच के साथ वो आगे बढ़ना चाहती हैं। देखते हैं जनसरोकार के सवालों से नेताजी कब तक भागते और खुद को रोक पाते हैं।