
दिल्ली के जेएनयू से विदेशी भाषा की पढ़ाई करने के बाद डेहरी की धरती पर दिखने वाले शिवकुमार उर्फ शिव गांधी को करीब 25 वर्षों से जानता हूं। स्कूली पढ़ाई के दौरान कभी वीडियो कैमरा लेकर मथुरी पुल के अंदर जमे पानी की फोटो खींचने ये शख्स पहुंच जाता। तो कभी घंटों इंतजार करता दिखता। स्कूली बच्चों के बीच एपीजे अब्दूल कलाम की जन्मदिन मनाने वाले शिव गांधी का विजन भले दी थोड़ा अलग हो गया हो लेकिन उसके सधे प्रयास लोगों को हतप्रत और हैरान करने वाले रहते थे। पूर्व राष्ट्रपति कलाम की 74वीं जन्मदिन मनाने वाले शिव कुमार को हर तरह के कार्यक्रमों में लोग देखते रहते। कलाम के बाद शिव कुमार ने अपना रास्ता थोड़ा बदला और फिर वे लगातार बराम ओबामा के पक्ष में लिखते रहते। लेकिन मुझे हमेशा की तरह इस तरह के व्यक्ति का अपने शहर में रहना अखरता। दरअसल, आपके जीवन का एक सकारात्मक उद्देश्य रहा हो। लेकिन समय, परिस्थिति और स्थान का एक बड़ा महत्व रहा है। शायद मुझे लगता कि ये व्यक्ति अगर इस शहर में नहीं रहता तो किसी बड़े एनजीओ में बड़े ओहदे पर रहता। लेकिन नियति को शायद कुछ और मंजूर था। कभी डेहरी के लिए पार्क का निर्माण या इसकी रुपरेखा को तैयार करने की बात हो या फिर गरीब बच्चों को पढ़ाने का प्रयास। फिर राजनीति में भी कदम रखना। शिव के पास हमेशा से एक रास्ता रहा और रास्ते तक पहुंचने का एक प्लान भी. हालही में डेहरी शहर में अवैध बालू खनन से बोलने से परहेज करने वाले नेताओं से अलग शिव ने इसके खिलाफ धरना भी दिया. एक सधे राजनीतिक या सामाजिक कार्यकर्ताओं के तौर पर हमेशा सामने आने का प्रयास करने वाले शिव को पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान निर्देलीय उम्मीदवार के तौर पर ठीक ठाक वोट मिले।


लंबे समय से शिव कुमार से मुलाकात नहीं हो पाई है। लेकिन डेहरी प्रखंड के स्थापना दिवस को मनाने कि लिए पहुंचे शिवकुमार की मेमोरी और सजगता को सैल्यूट करना पड़ेगा। शुक्रवार दोपहर में प्रकाश स्टूडियों में बैठा हुआ था। इसी दौरान मेरे साथ काम कर रहे जय प्रकाश मौर्य ने इस कार्यक्रम की जानकारी दी। डेहरी प्रखंड की स्थापना दिवस के मौके पर कार्यक्रम का मेरी समझ में कही भी कोई भी आयोजन नहीं किया गया था। कार्यक्रम में शिव के साथ रहने वाले उनके सैनिक यानी बच्चे इस बार भी मौजूद थे। परिस्थितियों का दास कुछ लोग कतई नहीं बन पाते। कुछ लोग नियति बनाते हैं और कुछ नियति संवारते हैं लेकिन शिव को मैं किसी भी श्रेणी में नहीं रखता। क्योंकि मैं इस आदमी की किसी भी तरह की रैंकिंग करने या श्रेणी में रखने के काबिल नहीं पाता हूं। लेकिन इतना तय है कि यह आदमी सनकी है, जुनूनी है और हिम्मती है। वरना कौन पागलों की तरह किसी शहर की सुरत बदलने का प्रयास करता। जिस शहर के हर लोग सोए हुए हो।
(यह टिप्पणी न्यूज पोर्टल के मैनेजिंग एडिटर गोविंदा मिश्रा ने अपनी निजी हैसियत से की है )
