दरभंगा। मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार और इनसायक्लोपीडिया माने जाने वाले पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर का निधन 01 अप्रैल 2021 की देर रात मिश्रटोला स्थित उनके निवास स्थान पर हो गया। वे 96 वर्ष के थे। श्री मित्र कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। श्री मिश्रा अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके निधन की सूचना मिलते ही जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अन्य गणमान्य एवं उनके चाहनेवाले उनके अंतिम दर्शन के लिए उमर पड़े।
श्री मिश्र का दाह संस्कार स्थानीय बागमती नदी के किनारे सती स्थान श्मशान घाट पर किया गया जहां श्री मिश्र के ज्येष्ठ पुत्र शंभू नाथ मिश्र ने उन्हें मुखाग्नि दी।
आज विधायक डॉक्टर विनय कुमार चौधरी, संजय सरावगी, दरभंगा के जिलाधिकारी डॉ त्यागराजन एस। एम; कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शशिनाथ झा सहित सैकड़ो लोगों ने मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार और ख्यातिलब्ध शिक्षाविद पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर जी के मिश्रटोला स्थित उनके आवास पर जाकर उनके पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। स्वर्गीय अमर जी का निधन मिथिला एवं मैथिली भाषा एवं साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। जिलाधिकारी ने दिवंगत आत्मा की चिरशांति तथा उनके परिजनों को दु:ख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।
उल्लेखनीय है कि दिवंगत पंडित चंद्रनाथ मिश्र अमर एमएलए अकेडमी प्लस टू हाई स्कूल में शिक्षक के पद पर अपना योगदान दिया था एवं वहीं से 1981 में वे वहीं से सेवानिवृत्त हुए थे। स्वर्गीय अमर जी को 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं 1998 में साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही वे साहित्य अकादमी के फेलो भी रहे। इसके अलावा साहित्य क्षेत्र के दर्जनों अन्य पुरस्कार से भी सम्मानित थे
मैथिली के वयोवृद्ध साहित्यकार एवं विद्यापति सेवा संस्थान के आजीवन अध्यक्ष पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर के निधन पर संस्थान से जुड़े लोगों ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए कहा कि वे मैथिली के प्रबुद्ध साहित्यकारों में से एक थे, जिन्होंने उत्कृष्ट लेखन के जरिये मैथिली के साहित्याकाश को आजीवन नई ऊंचाई प्रदान की। उनकी तेजस्विता से मैथिली साहित्य का न सिर्फ तेजी से विस्तार हुआ, बल्कि विकास भी हुआ।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने उनके निधन को मैथिली साहित्य के एक युग का अंत बताते कहा कि अपनी अमर कृतियों में वे सदा अमर रहेंगे। विद्यापति सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ बुचरू पासवान ने कहा कि उनका निधन मैथिली साहित्य के एक युग के अवसान सरीखा है। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि वे न सिर्फ मैथिली में विभिन्न विधा के सर्जक थे, बल्कि उत्कृष्ट कोटि के इतिहासकार और पत्रकार के रूप में भी खासे प्रसिद्ध थे। प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि मैथिली के कालजयी रचनाकार के रूप में वे अपनी रचनाओं में हमेशा जीवंत बने रहेंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं साहित्य अकादमी के सदस्य डॉ भीमनाथ झा ने कहा कि पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर ने आजीवन अपनी लेखनी से मैथिली साहित्य का बहुआयामी विकास किया। डाॅ महेन्द्र नारायण राम ने कहा कि मैथिली के वे अकेले ऐसे साहित्यकार थे जिनकी रचनाओं में गुदगुदी के साथ गंभीर चिंतन का सुंदर समावेश देखने को मिलता है।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि साहित्य अकादमी एवं कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित पं चन्द्रनाथ मिश्र अमर एक कुशल शिक्षक होने के साथ-साथ मैथिली साहित्य के ऐसे अनमोल हस्ताक्षर थे, जिन्होंने मैथिली साहित्य को एक नई दिशा देने के साथ ही सामाजिक उत्थान के प्रति आजीवन समर्पित रहे।
अमरजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले अन्य लोगों में पूर्व विधान पार्षद डॉ विनोद कुमार चौधरी, डॉ दिलीप कुमार चौधरी एवं विधान पार्षद डॉक्टर मदन मोहन झा, लनामिवि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक कुमार मेहता, एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा, सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ प्रेम कुमार प्रसाद, सीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ विश्वनाथ झा, एमएमटीएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ उदय कांत मिश्र, स्नातकोत्तर मैथिली विभागाध्यक्ष डॉ प्रिती झा, डॉ रमण झा, डॉ नारायण झा, डॉ रमेश झा, डॉ सत्येंद्र कुमार झा, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, डॉ गणेश कांत झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ा भाई, विनोद कुमार झा, चंद्र मोहन झा पड़वा, प्रो विजयकांत झा, आशीष कुमार, चंदन सिंह, नवल किशोर झा, डॉ सुषमा झा, दीपक कुमार झा, केदारनाथ कुमर, दुर्गानंद झा, महानंद ठाकुर आदि शामिल थे।