इस कोरोना के दूसरे चरण में सांस लेने की समस्या काफी मुख्य रूप शामिल हैं, लगभग कोरोना से ग्रसित लोग एवं बिना ग्रसित लोगो मे यह समस्या होना चिंतनीय हैं ऐसे में आप अपने फेफड़ो की समस्या को दूर करने के लिए कुछ जरूरी व्यायाम कर सकते है| डॉo निषाद स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन सेन्टर के सीनियर भौतिक चिकित्सक बताते हैं क छेत्र में कोरोना संक्रमित के कई लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत भी एक प्रमुख लक्षण माना गया है। इसका सीधा संबंध फेफड़ों से है। कोरोना के अलावा फेफड़ों के ऐसे कई रोग हैं, जिन्हें खतरनाक समझा जाता है जैसे-अस्थमा, सीओपीडी, सिस्टिक फाइब्रोसिस, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि। जब फेफड़े ठीक से काम नहीं करते या इससे जुड़ी गंभीर बीमारी हो तो डॉक्टर कुछ थेरेपी करवाते हैं। ये इलाज में कारगर होती हैं। डॉक्टरी भाषा में इसी को चेस्ट फिजियोथेरेपी कहा जाता है। इसी को सीपीटी या चेस्ट पीटी भी कहते हैं।
कब दी जाती है चेस्ट फिजियोथेरेपी
‘वर्ल्ड कंफेडरेशन फॉर फिजिकल थेरेपी’ की पत्रिका में साफ लिखा है कि कोविड-19 से निपटने के लिए क्या गाइडलाइन हैं। इसमें कहा गया कि शुरुआती लक्षणों के दिखते ही एकदम थेरेपी नहीं दी जानी चाहिए। हां, निमोनिया जैसी स्थिति से लेकर कोरोना के गंभीर मरीजों को चेस्ट फिजियोथेरेपी दी जाएगी। सांस लेने में दिक्कत होने पर चेस्ट फिजियोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। इस थेरेपी में एक ग्रुप होता है। इसमें पॉस्च्युरल ड्रेनेज, चेस्ट परक्यूजन, चेस्ट वाइब्रेशन, टर्निंग, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसी कई थेरेपी शामिल होती हैं। इनसे फेपड़ों में जमा बलगम बाहर निकालने में मदद मिलती है।
सर्जरी से गुजरने पर-
सिस्टिक फाइब्रोसिस और सीओपीडी जैसी बीमरियों के बाद मरीजों को दूसरे इलाज के साथ चेस्ट फिजियोथेरेपी की भी जरूरत पड़ती है। इसके अलावा जो लोग सर्जरी से गुजरते हैं, उन्हें भी इस थेरेपी की सलाह दी जा सकती है।
इनके लिए मना चेस्ट थेरेपी-
-पसली की हड्डी टूटी हो
-सिर या गर्दन में कोई चोट होने पर
-रीढ़ की हड्डी में चोट वालों को
-फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके हों
-गंभीर अस्थमा में
-पल्मोनरी एम्बोलिज्म हो
- फेफड़ों से जब खून बह रहा हो
-शरीर में कहीं कोई ताजा घाव हो - कटे का निशान या जली हुई त्वचा हो
फेफडों के अंदर गुब्बारे जैसी संरचना-
-9 हजार लीटर तक हवा की जरूरत होती सांस लेने के लिए इंसान को हर रोज
-17।5 मिलीलीटर पानी बाहर सांस छोड़ते हुए फेंकता है, जब एक इंसान आराम की स्थिति में होता है
-30 करोड़ गुब्बारों जैसी संरचना होती है इंसान के फेफड़ों के भीतर
आज भाग दौड़ की जिंदगी में फिजियोथेरेपी आम जीवन में अति महत्वपूर्ण है, जहां बिना दवा के ज्यादातर बीमारियों को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। फिजियोथेरेपी किसी भी उम्र में ली जा सकती है। बच्चे, महिलाएं, लड़के, लड़कियां, बूढ़े सभी उम्र के लोग फिजियोथेरेपी ले सकते हैं।
(डॉ सावन कुमार निषाद बिहार के डेहरी-ऑन-सोन शहर में करीब 5 वर्षों से फिजियोथेरेपिस्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। बेहतर हो आप इसपर अमल करने से पहले चिकित्सीय सलाह लें।)