डेहरी ऑन सोन रोहतास। कोरोना के बढ़ते कदम ने मंदिर मस्जिद में ताले तो लगा दिए पर आस्था रखने वाले लोगों ने मंदिर के बाहर तथा घरों में पूजा-पाठ नमाज पढ़ रहे हैं ,वही अपने घरों में पूर्वजों को भी याद कर रहे हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग भारत सरकार के पूर्व सदस्य डॉ योगेंद्र पासवान ने अपने घर पर सादगी पूर्ण ढंग से बाबा वीर चौहरमल जी की 429 वी जयंती मनाई। उन्होंने बताया कि बाबा वीर चौहरमल जी सभी वर्गों में वीर पुरुष पैदा हुए वह ना सिर्फ अपने वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज के लिए बलिदान त्याग एवं प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। उनकी वीर गाथा से आप सभी लोग परिचित हैं। पासवान समाज के लिए बाबा आस्था एवं प्रेरणा के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा विगत वर्ष 2010 से जयंती मनाने की शुरुआत की गई थी। बाबा चौहरमल जी का जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था पासवान समाज के पथ प्रदर्शक वीर शिरोमणि बाबा चौहरमल स्त्री समाज की मान मर्यादाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले महापुरुष थे। वह सामंती दमन के विरुद्ध विद्रोह के प्रतीक थे ,वही चौहरमल जी महाराज सांप्रदायिक सौहार्द के भी प्रतिक थे । उन्होंने कहा कि बिहार शरीफ की बड़ी दरगाह में हजरत मखदूम साहब की मजार के बगल में चौहरमल बाबा का भी मजार है । चौहरमल बाबा को मोकामा के आसपास के लोग के अलावा हमारे समाज के लोग लोक देवता और कुल देवता के रूप में पूजते हैं। बाबा चौहरमल का जन्म पासवान जाति के एक किसान के परिवार में बिहार के मोकामा अंचल क्षेत्र के शंकरवाड़ टोला में हुआ था। इनकी वीरगथा आज भी पूरे देश में गाई जाती है।