डिजिटल टीम, रांची। दो साल का मासूम बिट्टू पूरी तरह अभागा निकला। कोरोना से जंग हारने वाले इस अबोध बालक को उसके माता रपिता ने रांची के रिम्स में इलाज के लिए भर्ती कराया था। उसके पॉजिटिव होने की जानकारी मिलने के बाद उसके परिजन उसे हॉस्पिटल में छोड़कर भाग निकले। हिन्दुस्तान डिजिटल की खबर के अनुसार, मौत के पहले ही वो रिश्तों की जंग हार चुका था। लेकिन इस अबोध बालक की अंतिम बिदाई किसी अनाथ की तरह नहीं हुई। यह काम रिम्स के ट्रॉलीमैन रोहित बेदिया ने निभाया।
11 मई को भर्ती कराया गया था बच्चा
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, 11 मई को इस बच्चे को रांची के रिम्स में भर्ती कराया गया था। बच्चे के पिता का नाम रजिस्टर में सिकंदर यादव बताया गया है। जो बिहार के जमुई जिले के चकाई इलाके के नैयाडीह का रहने वाला है। इस बच्चे का इलाज हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में चल रहा था। बच्चे का इलाज कर रहे डॉक्टर अभिषेक रंजन ने मीडियाकर्मियों को जानकारी दी कि परिजनो ने झूठ बोलकर इसे भर्ती कराया था। लेकिन चेस्ट एक्सरे में उनका झूठ पकड़ा गया। बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। डॉक्टरों के लाख प्रयास के बावजूद इस बच्चे की 12 मई को मौत हो गई थी।
रॉन्ग नंबर पर लगता रहा कॉल
इसकी मौत के बाद माता पिता के नंबर पर संपर्क का प्रयास किया गया। लेकिन रॉन्ग नंबर बताता रहा। हॉस्पिटल में परिजनों का दो दिनों तक इंतजार भी किया गया। जिसके बाद उसे कर्मचारियों ने अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया। रिम्स के ट्रॉलीमैन रंजीत बेदिया ने खुद आगे आकर इस बच्चे के शव का अंतिम संस्कार कराने का जिम्मा लिया।