डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास)। इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष विराम होने के बाद हालात का जायजा लेने के लिए भारत फिलिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम , बिहार चैप्टर की एक बैठक हुई। इस बैठक में फो़रम के बिहार चैप्टर अध्यक्ष संतोष उपाध्याय ने उन सभी पक्षों का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने संघर्षविराम के लिए कोशिश की। उपाध्याय ने कहा कि हालांकि अमरीकी राष्ट्रपति बाईडन शुरू में बहक गए थे और उन्होंने इज़राईल को एक बड़ी मदद देने का ऐलान भी कर दिया था लेकिन बहुत सारे सांसदों के प्रेशर के बाद उन्होंने अपना स्टैंड बदला और इसराइल ने पर संघर्षविराम के लिए प्रेशर बनाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति के बार-बार प्रेशर बनाने के बाद भी नेतन्याहू ने संघर्षविराम करने की बात को टाला, इससे साफ जा़हिर हो जाता है कि नेतन्याहू अपने ऊपर शुरू हुए भ्रष्टाचार के मुकदमों से अपने देश के लोगों का ध्यान हटाने एवं अपनी अस्थिर सरकार को किसी तरह लंबा खींच लेने के लिए हिंसा का माहौल बनाए रखना चाहते थे।
उपाध्याय ने कहा कि अमेरिका और इजरायल की जनता ने इस बार जितना इस लड़ाई का विरोध किया है, इतना पहले इतिहास में कभी नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस बार की लड़ाई न किसी धर्म की लडा़ई थी और ना ही दो राष्ट्रों के बीच की लड़ाई थी बल्कि नेत्नयाहू कि अपनी राजनीतिक स्थिति को मज़बूत करने की लड़ाई थी। ऐसा संघर्षविराम के लिए हुई पूरी बातचीत में जाहिर हुआ है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी सांसद ग्रेगरी जो के अमरीकी संसद में इजरायल के सबसे बड़े पक्षधर रहे हैं , उन्होंने भी इस बार अमेरिका द्वारा हथियार की मदद दिए जाने का विरोध किया। इसके अलावा इजरायल के अंदर भी बहुत सारे मानव अधिकार और राजनीतिक ग्रुप ने इस लड़ाई का विरोध किया, जिससे पता चलता है कि नेतन्याहू द्वारा थोपी गई इस लड़ाई का कोई भी पक्षधर नहीं था। भारत फि़लिस्तीन सॉलिडेरिटी फोरम ने पहले भी कहा था कि नेत्न्याहू सिर्फ अपने भ्रष्टाचार पर लगे आरोपों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इतनी बड़ी हिंसा फैला रहे हैं और एक झूठे राष्ट्रवाद का माहौल बनाकर लोगों के दिमाग से खेलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अमेरिका की जनता और इजरायल की जनता ने इस बात को समझा।
डेमोक्रेट सांसद ने की शांति की बेहतर पहल
फो़रम के महासचिव मोहम्मद काशिफ़ यूनुस, अधिवक्ता ने विशेष तौर पर अमरीका की डेमोक्रेट सांसद एलेग्जेंडरिया और राशदा का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने इस संघर्ष विराम को करवाने की पूरी तरह ना सिर्फ वकालत की बल्कि फिलिस्तीन का पूरा समर्थन भी किया और इन दो महिलाओं के आगे अमरीकी राष्ट्रपति को घुटने टेकने पड़े । काशिफ़ यूनुस ने कहा कि राशीदा और एलेग्जेंडरिया ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ का प्रदर्शन करते हुए जो उदाहरण का़यम किया है, यह अपने आप में अतुलनीय है।
पूरी दुनिया के देश ने की सार्थक पहल
फो़रम की तरफ़ से जारी किए गए एक बयान में मिस्र के राष्ट्रपति का भी शुक्रिया किया गया जिन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में संघर्ष विराम का प्रस्ताव लाया। अमरीका के अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी सदस्य इस संघर्ष विराम के लिए राजी़ हुए जिससे पता चलता है कि दुनिया का हर समझदार देश यह समझ चुका है की आज दुनिया जिस आर्थिक संकट से गुज़र रही है , ऐसे में युद्ध एक बहुत बड़ी बेवकूफी है और इजरायल के राष्ट्रपति ने सिर्फ अपनी राजनीति को बचाने के लिए दुनिया पर इस युद्ध को थोपा ।फोरम ने डेमोक्रेटिक पार्टी के उन 28 सांसदों का भी शुक्रिया किया जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर चिट्ठी लिखकर संघर्षविराम की अपील की।