डिजिटल टीम, भोपाल। पत्रकारिता आज के दौर में भी जनसरोकार और सामाजिक बदलाव के लिए काम कर रही है। लेकिन इसे एक्टिवजिम के लिए इस्तेमाल करने से तथ्यों (Facts) से लोगों को दूर किया जा रहा है। आज के दौर में मीडिया के सभी माध्यम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल आम लोगों की समस्याओं को समाज के सामने बखुबी रख रहे हैं। लेकिन जरुरत है कि सकारात्मकता के साथ इसको स्वीकारते हुए राष्ट्रहित में इसका उपयोग किया जाए। जिससे परिवार, समाज और देश मजबूत हो सके। हमारी टीम से विशेष बातचीत के दौरान माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केजी सुरेश ने यह बातें कही।
कोरोना काल में शैक्षणिक माहौल नहीं हुआ प्रभावित
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के मानकों पर पूरी तरह खरा उतरने के लिए उनके विश्वविद्यालय में कार्यप्रणाली में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि पूरे कोरोना काल में विश्वविद्यालय का शैक्षणिक कार्य कभी भी बाधित नहीं हुआ। पूरी फैकल्टी के अलावा कर्मी छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो इसके लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि खंडवा कैम्पस में फिल्म पत्रकारिता के स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स जल्द शुरू होने जा रहा है। उन्होंने बताया कि रीवा कैम्पस से ग्रामीण पत्रकारिता का पाठ्यक्रम आगामी सत्र से शुरू किया जा रहा हैं। इसके अलावा भोपाल में भारतीय भाषा विभाग को भी स्थापना किया जा रहा हैं। भोपाल के नए कैम्पस में एक राष्ट्रीय मीडिया संग्रहालय भी स्थापित किया जायेगा।
पत्रकारिता के आदर्श को अपनाने की जरुरत
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए अपने देश के आदर्शों को छात्रों को अपनाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि देश की स्वतंत्रता के पूर्व अंग्रेजी शासन के खिलाफ देश को एकजुट करने में पत्रकारों ने कार्य किया। वर्तमान दौर में राष्ट्रहित को सर्वोपरी समझ कर इसके लिए कार्य करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि तथ्यपरक पत्रकारिता से इसकी विश्वसनीयता बनी रहती है। लेकिन इससे समझौता करने पर इसके विपरित प्रभाव समाज की मानसिकता पर पड़ता है। कुलपति ने कहा कि पत्रकारिता और एक्टिविजम में काफी अंतर होता है। जो पत्रकारिता के विद्यार्थियों के अलावा इस प्रोफेशन से जुड़े लोगों को भी समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि गूगल सर्च की जगह अगर लाइब्रेरी मे किताबों का रिफरेंस का इस्तेमाल किया जाएगा तो पत्रकारिता काफी मजबूत होगी। उन्होंने इससे दूरी बरतने की सलाह दी।
भारत में उज्जवल है हिन्दी पत्रकारिता का भविष्य
कुलपति केजी सुरेश ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का भविष्य काफी उज्जवल है। डिजिटल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने नौकरी के बड़े अवसर पत्रकारिता के छात्रों को दिए हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता ने भी इस माध्यम से काफी तेजी से अपनी बढ़त बनाई है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं किया जा सकता है। आज छात्र फिल्म, बिजनेस जैसे क्षेत्र में काम कर काफी तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। वहां भी असीमित अवसर मौजूद है।