बिहार के डेहरी-ऑन-सोन शहर से 8 किलोमीटर दूर नारायण मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कैफे का संचालन करने वाले मनीष सिंह 10 बजते ही कैम्पस के अंदर होम डिलेवरी के कॉल्स का उत्तर देना शुरू कर देते हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वापस घर लौट उन्होंने बिजनेस करने की ठानी। इस दौरान जनवरी महीने में एक यूनिक प्लान पर काम शुरू किया। मनीष का कहना है कि हॉस्पिटल और यूनिवर्सिटी कैम्पस में छात्रों, डॉक्टरों के अलावा बाहरी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस तरह की प्लानिंग को हॉस्पिटल के एमडी गोविंद नारायण सिंह ने काफी सराहा। फिलहाल लॉकडाउन के दौरान कैफे को कोरोना नियमावली के कारण खोला नहीं जा सकता है। लेकिन होम डिलेवरी की सुविधा कैम्पस के लोगों के लिए उपलब्ध है। लोकल फॉर वोकल के तर्ज पर मनीष भविष्य में इसकी चेन बिहार के अलावा अन्य राज्यों में खोलने की प्लानिंग पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके माध्यम से अभी वो 8 लोगों को रोजगार दे रहे हैं। नेपाल, उत्तराखंड के अलावा यूपी के भी कारीगर उनके यहां काम कर रहे हैं।
खूबसूरत इंटीरियर देख आप भी हो जाएंगे हैरान
देश के कई महानगरों के चुनिंदा रेस्टोंरेंट में होने वाले इंटीनियर को देखने के बाद उन्होंने इसकी खूबसूरती को निखारने का काम किया। ओपेन माइक सेशन के समय छात्र और डॉक्टर अपने गाने औऱ कविताओं से मौजूद लोगों का मनोरंजन करते हैं। 32 साल के मनीष सिंह डेहरी के पास भेड़िया गांव के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि बिहार के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं। अगर बेहतर विकल्प मिले तो वो सभी यहां की प्रगति के लिए काम कर सकते हैं।
शिक्षक के बेटे ने नौकरी की जगह चुना स्वरोजगार का विकल्प
डेहरी शहर के पाली रोड में भी आपको फेमस हेस्टी टेस्टी वेज स्वीट्स और रेस्टोरेंट देखने को मिल जाएगा। इसका संचालन करने वाले ब्रजेश तिवारी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। जिसके बाद उन्होंने स्वरोजगार का विकल्प चुना। कई बड़े ब्रांड के लिए स्थानीय स्तर पर डीलर के तौर पर काम करने के बाद उन्होंने वेज रेस्टोरेंट के साथ साथ स्वीट्स की दुकान खोली है। इस रेस्टोरेंट के माध्यम से वो लोगों को स्वाटिष्ट दक्षिण भारतीय खाना और वेज के कई आइट्मस उपलब्ध करा रहे हैं। 40 वर्ष के ब्रजेश तिवारी के पिता सेवानिवृत शिक्षक रहे हैं। आम तौर पर ऐसे परिवार के लोग नौकरी के बेहतर विकल्प की तलाश करते हैं। लेकिन वो करीब 20 साल से डेहरी में रहकर ही व्यवसाय कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अगर आपके पास बेहतर क्वालिटी उपलब्ध है तो खाने के शौकीन भी वहां जरूर पहुंचेंगे। पूरे लॉकडाउन के दौरान उनके यहां करीब 18 कर्मचारी काम करते रहे। उन्होंने बताया कि डेहरी-डालमियानगर इलाके में 4 कर्मचारी केवल होम डिलेवरी का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में वो इसे और बेहतर बनाने का करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में वो रोजगार के बेहतर अवसर की तलाश करने वाले युवाओं के लिए भी कुछ करने की प्लानिंग कर रहे हैं। जिससे उन्हें बड़े महानगरों की दौड़ नहीं लगानी पड़े।