डेहरी ऑन सोन में 6 दशक से ज्यादा समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे अभय चंद मेहरा के जज्बे की कहानी आज के दौर के युवाओं को निश्चित तौर पर जाननी चाहिए। 1942 के आंदोलन में डेहरी टिकट घर जलाने में संलिप्त रहे शहर के स्तंभ श्री मेहरा कांग्रेस के सक्रिय कार्य़कर्ता थे। इस कारण अंग्रेजी हुकुमत ने उनकी पुलिस दारोगा के तौर पर चयनित होने के बावजूद नौकरी नहीं होने दी। सामाजिक तौर पर सक्रिय रहे श्री मेहरा डेहरी शहर के स्तंभ के तौर पर जाने जाते थे। साल 2009 में उनका निधन हो गया था। बाद के दौर में वो रोहतास उद्योग समुह में भी कार्यरत रहे थे। उनकी पत्नी रश्मि मेहरा बताती हैं कि स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कहानियां वो हमेशा सुनाते थे। कांग्रेस में बहुत ज्यादा सक्रिय रहने के कारण बिट्रिश सरकार उन्हें पसंद नहीं करती थी।
स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय में रहने वालों में बांकगढ़ के कामता प्रसादसिंह का नाम भीशामिलहै। वे रेलवे स्टेशन और पोस्ट ऑफिस जलाने में सक्रिय थे। जिस कारण उन्हें उम्रकैद कीसजा सुनाई गई थी। लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था। उनके बेटे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी प्रफुल्ल कुमार सिंह बताते हैं कि उनके पिता को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की तरफ से ताम्रपत्र भी मिला था।