शहीद अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल एवं ठाकुर रोशन सिंह की शहादत दिवस के मौके पर साझा मंच के द्वारा निकहत कदा ( नुदरत नवाज के आवास पर ) मुशायरा सह गोष्टी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकप्रिय शायर मिर्जा खलील बेग ने की। कार्यक्रम के प्रारंभ में लोकप्रिय अशफाक अहमद ने अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल व ठाकुर रोशन सिंह की शहादत को याद करते हुए एक ग़ज़ल शहीदों के प्रति समर्पित किया। उन्होंने गजल के माध्यम से जीवन की विसंगतियों को रेखांकित करते हुए कहा कि- ” जमाने के जो भी सताए हुए हैं / वो टूटे हुए दिल चलो ढूंढते हैं। “
मुशायरे की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए नुदरत नवाज, प्रेम प्रकाश, चिराग साहब, घनश्याम कुमार ने अपनी रचनाओं को पढ़कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद गोष्टी की प्रक्रिया शुरू हुई।
गोष्ठी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय परिषद सदस्य केडी सिंह, इप्टा के वरिष्ठ सांस्कृतिक चिंतक नंदलाल सिंह, प्रगतिशील लेखक संघ के जिला अध्यक्ष पंकज श्रीवास्तव एवं भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय अध्यक्ष शिव शंकर प्रसाद ने तीनों शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिन मूल्यों को लेकर इन नौजवानों ने अपनी शहादत दी वह मूल्य आज हाशिए पर पड़ा है। अशफाक उल्ला खान और राम प्रसाद बिस्मिल की दोस्ती क्रांतिकारियों के बीच एक मिसाल थी। आज राजनीति पर धर्म का वर्चस्व हो गया है। जो बिल्कुल ही खतरनाक है। आज के राजनीतिक परिवेश प्रदूषित हो चुकी है। जब एक अभिनेत्री यह कहती है कि आजादी हमें 2014 में मिली और उसी अभिनेत्री को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया जाता है। देश की राजनीतिक हालात अच्छे नहीं हैं। ऐसी परिस्थिति में हम शहीदों को याद कर रहे हैं। हमारी ड्यूटी बन जाती है कि सिर्फ उन्हें याद ना करें बल्कि शहीदों ने जिन मूल्यों की खातिर अपनी शहादत दी उन मूल्यों के प्रति हम सचेत हो और दूसरों को भी सचेत करें।
मौके पर जन संस्कृति मंच के निषाद खान, हे आईएसए के त्रिलोकी, आरवाईए के मनीष विश्वकर्मा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
शहादत दिवस के मौके पर साझा मंच के द्वारा मुशायरा सह गोष्टी का किया गया आयोजन ।
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