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क्षेत्रीयसमाचार

स्वस्थ और सजग भोजन व्यवस्था हृदय संबंधी बीमारियों को रोकने में मददगार

GOVINDA MISHRA
Last updated: 2022/09/29 at 8:20 PM
GOVINDA MISHRA  - Founder Published September 29, 2022
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विश्व हृदय दिवस पर विशेषज्ञों ने नए खाद्य लेबलिंग में सावधानी बरतने की मांग की

लखनऊ, 28 सिंतबर: भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हाल ही में बहुप्रतीक्षित एक स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित एफओपीएल विनियम को जारी करके, उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के पोषक तत्वों के साथ खाद्य लेबलिंग उपभोक्ताओं को सचेत निर्णय लेने में मदद करने के बजाय भ्रमित ही करेगा।

हालांकि खाद्य लेबलिंग के कई डिजायन हैं, जिनमें चेतावनी लेबल, ट्रैफ़िक लाइट सिस्टम, न्यूट्री-स्कोर, गाइडलाइन डेली अमाउंट, और हेल्थ स्टार रेटिंग (HSR) प्रमुख हैं। कई रिसर्च और उपभोक्ता सर्वेक्षण के मुताबिक इसमें चेतावनी लेबल सबसे कारगार साबित हो सकता है, जो उपभोक्ताओं को स्वस्थ्य विकल्प अपनाने में मदद करता है। भारत में शीर्ष चिकित्सा और अनुसंधान संस्थानों द्वारा किए गए कई अध्ययनों में पाया गया है कि लोग स्पष्ट चेतावनी लेबल पसंद करते हैं जो यह बताता है कि उत्पादों में अस्वास्थ्यकर सामग्री अधिक है या नहीं।

भारत ने प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य और पेय उद्योग में तेजी से उछाल देखा है। इन खाद्य पदार्थों की अधिक खपत, जो आमतौर पर नमक, चीनी और संतृप्त वसा में उच्च होते हैं, भारत में कई बढ़ते बीमारियों की वजह भी हैं। भारत में हर साल 58 लाख से अधिक भारतीय गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) जैसे कैंसर, मधुमेह, अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। इन बिमारियों में सभी नहीं तो अधिकतर बिमारियों का इलाज मुश्किल है, लेकिन एक बेहतर स्वस्थ्य खाद्य सिस्टम से इनको रोका जा सकता है। एक स्वस्थ आबादी के लिए खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों के पैक के सामने एक अनिवार्य चेतावनी को एक प्रभावी नीतिगत समाधान माना जाता है।

इस मुद्दे पर विस्तार से बताते हुए मानवाधिकार जननिगरानी समिति (PVCHR) के संस्थापक व संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने कहा, “देश में विशेष रूप से बच्चों और युवाओं में एनसीडी के बढ़ते मामलों को देखते हुए, यह उचित समय है कि देश पोषण संबंधी लेबलिंग पर ध्यान केंद्रित करे जो उपभोक्ताओं के लिए ‘चेतावनी लेबल’ के रुप में सबसे अधिक कारगार है। हमें उम्मीद है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नागरिक समाज के सुझावों पर विचार किया जाएगा।”

लेनिन ने आगे कहा, “शोध से पता चलता है कि वह लेबल जो केवल पोषक तत्वों को उजागर करते हैं, यानी चेतावनी लेबल, सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सबसे अच्छा काम करता है। इस प्रकार के आसानी से पढ़े दा सकने वाले खाद्य लेबल तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर कर सकता है। इसके अलावा भारत, जहां हृदय रोग के वैश्विक बोझ का 25% हिस्सा है, को सरल चेतावनियों से सबसे अधिक लाभ होगा जो लोगों को आसानी से सचेत कर सकता है।”

डॉ. युवराज सिंह, बीएमएस, कंसल्टेंट फिजिशियन ने कहा, “नियमित व्यायाम करने और सक्रिय जीवन जीने के साथ-साथ उच्च वसा, नमक और चीनी और तंबाकू के उपयोग से भरे अल्ट्रा-प्रोसेस फूड से बचने जैसे व्यवहार संबंधी बदलावों को अपना करके अधिकांश हृदय रोगों को रोका जा सकता है।”

विशेषज्ञों की यह भी मांग है कि एफएसएसएआई और मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर को प्रत्येक राज्य में और प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक परामर्श करना चाहिए ताकि नए नियमों के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा हो सके।

GOVINDA MISHRA

Proud IIMCIAN. Exploring World through Opinions, News & Views. Interested in Politics, International Relation & Diplomacy.

TAGGED: dehri news, rohtas news
GOVINDA MISHRA September 29, 2022 September 29, 2022
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