
पटना: दुमका में स्कूल की नाबालिग छात्रा ,अमृता,कुमारी सिंह को जलाकर मार देने की घटना ने फिर एक बार निर्भया कांड की याद दिला दी है. इस मामले में पटना उच्च न्यायालय की वरीय महिला अधिवक्ता और एडवोकेट्स एसोसिएशन की पूर्व संयुक्त सचिव,श्रीमती छाया मिश्र ने दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि अंकिता के साथ न्याय नहीं मिला. इस मामले में पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि रांची के अस्पताल में बेहतर इलाज नहीं किया गया. बेहतर इलाज के लिए दिल्ली नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति जे एस वर्मा आयोग की सिफारिशों का झारखंड और बिहार में अमल नहीं हो रहा है. निर्भया कोष जिसमे ३००० करोड़ जमा है,इन दो राज्यों में समुचित उपयोग भी नही किया जा रहा है
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मिश्र ने कहा कि झारखंड में ग्यारह लाख रूपए ही खर्च हुए. झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है. यहां पर डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। वन स्टॉप सेंटर सिर्फ रांची में खोला गया है. उन्होंने कहा कि धनबाद में कुछ साल पहले,कॉलेज की एक छात्रा पर भी तेजाब फेंकने से चेहरा जल गया था। इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने में भी झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है
. बिहार की स्थिति भी निर्भया कोष के मामले में खराब ही है। बिहार जो मुजफ्फरपुर और गाय घाट पटना के शेल्टर होम्स के मामले में बदनाम हो चुका है, सीसीटीवी,इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी लगाने के मामले में बहुत ही धीमा काम हुआ है. उन्होंने बताया कि राज्य में 12.29 करोड़ रुपय जो सपोर्ट सिस्टम के लिया तय किया गया था,एक पैसा भी नहीं खर्च हुआ है।
मिश्र ने इस तरह के मामलों में राज्य सरकारों से संवेदनशीलता की अपील की है. वेदन किया है की राज्य सरकार संवेदन शील हो और निर्भया कोष का उपयोग पीड़ित बालिकाओ के लिए उपयोग किया जाए.